Tuesday, June 23, 2020

शहीद कामरेड निधान सिंह की क़ुरबानी को याद करते हुए

क्रूर यातना के बावजूद उन्होंने खालिस्तानी हत्यारों को कुछ न बताया 
सोशल मीडिया//फेसबुक: 23 जून 2020 शाम 4:51 बजे: (नक्सलबाड़ी स्क्रीन  ब्यूरो) ::
आइये आज और 100 वीं जन्म शताब्दी वर्ष पर कॉमरेड निधान सिंह घुडाणी कलां की भावना का सम्मान करें और 29 वीं जन्म शताब्दी के वर्ष में.. खालिस्तानी आतंकवाद के खिलाफ अपना जीवन दिया। लोगों की मुक्ति के लिए एक क्रूसेडर जब तक बहुत आखिरी और सबसे उत्साही प्रैक्टिशनर मासलाइन के। हमें हिंदुत्व फासीम के साथ उसकी धर्मनिरपेक्ष आत्मा को उसके क्रेसेंडो में कम करने की जरूरत है।

कामरेड निधान सिंह घुडाणी कलां को ठीक 29 साल पहले खालिस्तानी कट्टरपंथियों ने फांसी पर लटका दिया था। कॉमरेड निधान के रूप में खालिस्तानी आतंक के खिलाफ कुछ साथियों ने ऐसे निरंतर प्रतिरोध किया, जिन्होंने उन्हें अपने सबसे कठिन बिंदु पर मारा। उस समय कुछ क्रांतिकारी वर्गों ने खालिस्तानी आतंकवाद या सिख कट्टरपंथी के साथ नरम पैडल किया। क्रूर यातना के अधीन होने के बावजूद उन्होंने अपने समूह के किसी भी रहस्य को बाहर करने के लिए समर्पित नहीं किया।

वह केंद्रीय टीम सी. पी. आई. (एम. एल.) समूह के थे जिसने खालिस्तानी कट्टरपंथी आंदोलन दांत और नाखून का मुकाबला किया या गहराई में किसी समूह ने नहीं किया। सन 1956 में उन्हें बपतिस्मा प्राप्त हुआ जब वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुए। अपने जीवनकाल में कई अवसरों पर उन्हें कैद किया गया था।  औपचारिक रूप से वह पंजाब किसान संघ के अध्यक्ष थे और उनके जीवन के अंत में रोपड़ में किसान संघर्ष समिति के नेता के रूप में काम कर रहे थे।

भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन या मुक्ति के इतिहास में कॉमर्डे निधान सिंह का नाम स्थायी रूप से उत्कीर्ण होगा। वह उस युग के कामरेडों में से था जिसने खालिस्तानी अलगाववादी विचारधारा को मौत की भावना से परिभाषित किया था। बिना संदेह के वह हमारी भूमि के सबसे अच्छे पुत्रों में से एक था जिसकी आत्मा अभी भी चमकती है। दशकों तक किसान नेता के रूप में उन्होंने सावधानीपूर्वक काम किया। आज प्रचलित हिंदू भगवा आतंक का सामना करने के लिए निधान सिंह की तरह खिलने के लिए हमें और कमल चाहिए। निधान ने एक तकनीशियन के हुनर से एक सैनिक का निर्धारण किया। पंजाब में कुछ साथियों ने प्रेयरी फायर बनाने के लिए क्रांतिकारी प्रतिरोध की लाल चिंगारी दिखाई या चेयरमैन माओ की भावना को उतना ही निधान सिंह। उन्होंने अपने जीवनकाल में सबसे अधिक कष्टप्रद रास्तों को यात्रा की और इस प्रकार एक सच्चे क्रांतिकारी के आंतरिक, आध्यात्मिक सार को बाहर कर दिया। अनपढ़ होने के बावजूद उन्होंने मार्क्सवाद-लेनिनवाद-माओ के विचार में महारत हासिल की। उनका जीवन कामरेड के लिए अनुकरण करने के लिए एक उदाहरण था कि विभिन्न समयों पर एक आंदोलन की समस्याओं से कैसे निपटें और निराशा की गहराई से उठने के लिए।

बड़ी दृढ़ता और बोली कार्यप्रणाली के साथ उन्होंने बाएं साहसिक और एसएन सिंह के बाद दाएं विचलनवादी प्रवृत्ति का मुकाबला किया। सन 1970 के दशक में.. एक तलवार की धारणा के साथ उन्होंने सभी क्रांतिकारी हवाओं को अपनी रीढ़ की हड्डी में मारते हुए और अपनी आत्मा के मूल रूप में वैनगार्ड लेनिनिस्ट पार्टी के काटने के किनारे का बचाव किया। कॉमरेड निधान मास लाइन के अभ्यास में मास्टर थे। और सबसे अच्छे समर्थक या व्यवसायी सी. टी. सी. पी. आई. (एम. एल.) की लाइन के साथ उन्होंने सावधानीपूर्वक कौशल के साथ किसान संगठनों के भीतर एक अंश के रूप में काम किया, लेकिन अभी भी गुप्त पार्टी संगठन को संरक्षित कर रहे हैं।

8 जून को नक्सली शहीद तरसेम बावा की श्रद्धांजलि सभा में कामरेड कभी निधान के योगदान को नहीं भूल सकते। उस दिन 25 जून को उनके अनुयायियों ने  घुडाणी कलां में अपने गांव में एक सेना की तरह प्रतिरोध की चिंगारी प्रज्वलित की। यह समय बेहद नाज़ुक भी था तब 1991 में 5 जुलाई को उनकी स्मारक बैठक कई महिलाओं सहित, उत्साह में हजारों झुंड के साथ सबसे अधिक मार्मिक या प्रेरणादायक में से एक थी। मिलने का स्थान लाल चिरागों से जलने की याद दिलाता था। या एक चिंगारी प्रेयरी आग में बदल रही है। कॉम । स्मरण सभा में वक्ताओं ने खालिस्तानी आंदोलन और विचारधारा की फासीवादी प्रकृति पर बात की और यह राज्य के एजेंट के रूप में कैसे कार्य किया । उन्होंने कहा कि इस तरह की सभाएं सबसे अधिक उत्साहजनक थीं जिससे फासीवादी खालिस्तानी आंदोलन और राज्य आतंक का सामना करने के लिए पंजाब की जनता की उत्साह और क्षमता साबित हुई। सबसे उल्लेखनीय पत्रिका इंकलाबी जनतक लीह और अमोलक सिंह, सुर्ख रेखा के संपादक जसपाल जस्सी के भाषण थे। इस तरह की स्मारक बैठकों ने कम्युनिस्ट क्रांतिकारी बलों की एकता के लिए मार्ग प्रशस्त किया, विशेष रूप से मासलाइन प्रवृत्ति की।

2 गुप्त सशस्त्र संगठन, "शहीद करतारा सिंह ब्रिगेड" और "लाल गार्ड" ने उनकी मौत का बदला लिया था, जिन्होंने सशस्त्र टीम के साथ अपने हत्यारों को खत्म कर दिया था।

निधान के समय में सीसीआरआई और सीटी समूहों की एकता को पूरा नहीं किया गया था, लेकिन वह संगठन भोली केंद्रीय टीम जो निधान सिंह थे, बाएं साहसिक और सही अवसरवाद अपनी जड़ों पर लड़ी थी।

इस साल भी उनकी 100 वीं जयंती वर्ष है। आज कुछ माओवादी अभी भी सिख अतिवादी विचारधारा का समर्थन करते हुए कॉमरेड निधान सिंह को याद करते हुए हमें खालिस्तान आंदोलन की फासीवादी प्रकृति और अकाली आंदोलन की प्रतिक्रियावादी प्रकृति को याद रखना चाहिए। दुख की बात है कि उसका बेटा पत्रिका सुरख रेखा के संस्थापक नाज़र सिंह बोपराई भी इस प्रवृत्ति का शिकार हुआ है, जो मासलाइन के बीज बोये गए हैं। आज निधान सिंह के दर्दनाक योगदान के लिए भूमिहीन श्रम एवं किसान संगठनों में मासलाइन अभ्यास का बहुत बकाया है। पंजाब में मासलाइन क्रान्तिकारी आंदोलन में आज कई कमल खिलने के लिए बीज बोये। काश सुरख रेका में उनकी 10 वीं वर्षगांठ पर लिखे लेख का अंग्रेजी में अनुवाद किया जा सकता और एक पुस्तिका में प्रकाशित किया जा सकता। विडंबना है कि सितंबर पत्रिका में 'सुरख रेखा' ने अपनी 40 वीं स्थापना वर्षगांठ मनाई है।  --Harsh Thakor
 


कामरेड जीता कौर के अधूरे काम पूरा करना ही होगी सच्ची श्रद्धांजलि

उसी तरह की और वीरांगनाएं भी ढूंढ़नी होंगीं 
लुधियाना: 23 जून 2020:(न्यूज़ मेकर//नक्सलबाड़ी स्क्रीन)::
ज़िंदगी यूं भी गुज़र सकती थी। बहुत ही पारम्परिक तरीके से। बालपन, लडकपन, इश्क विश्क, शादी ब्याह, बाल बच्चे और एक दिन शव यात्रा लेकिन जीता कौर को यह सब मंजूर नहीं था। उसके अंदर की आंख  वह सब भी देखने लगी जो आम लोगों को नजर न आता। बहुत से सवाल उसके मन में उठने लगे जो उसे चैन न लेने देते। इन सवालों का जवाब उसे न घर से मिलता, न ही स्कूल कालेज से और न ही समाज से। एक दिन उसके कालेज में एक सम्भ्रांत युवा महिला किसी बैठक विशेष का निमन्त्रण देने आई। उस बैठक और निमन्त्रण की जान पहचान उस युवा महिला ने बहु ही आकर्षक ढंग से कराई। वह युवा महिला पेशे से वकील थी। बहुत ही ध्यान से हर शब्द सुनती और बहुत ही सटीक जवाब देती। ऐसा जवाब जो हर धुंध और धुएं को तेज़ी से हटाता जा रहा था। जीता कौर को लगा कि इस बैठक में उसे अपने सवालों के जवाब ज़रूर मिलेंगे। इसी उम्मीद से बोली क्या मैं भी आ सकती हूं इस बैठक में? जवाब में मुस्कान भरी स्वीकृति मिली। यह बैठक थी जागृती महिला परिषद की और इस बैठक का निमन्त्रण लाने वाली युवा महिला थी सविता तिवाड़ी। यह संगठ सबंधित था लेकिन वास्तव में भाकपा(माले) लिबरेशन से जुड़ा हुआ था। न यूं तो इंडियन पीपुल्स फ्रंट 
इस बैठक में आए ही जीता कौर इसी संगठन से जुड़ गई। उसने अपने छोटे से जीवन के आरम्भिक दौर में ही देखा था कि किस तरह कांग्रेस से सबंधित कुछ नेताओं ने उसके पिता को सड़क हादसे में मरवाने की साज़िश रची। पिता रत्न सिंह बच तो गए लेकिन बहुत सी शरीरक समस्याएं पैदा हो गयीं। ज़िंदगी के इस दौर में जब बहुत से लोग मस्ती में मस्त रहे हैं तब जीता कौर देश की सियस और समाज के वास्तविक रंगों को न सिर्फ देख रही थी बल्कि अनुभव भी कर रही थी। उसके मन में उठते सवाल बढ़ते जा रहे थे। फिर प्रेम हुआ तो वह सपना भी साकार न हुआ। समाज ने इसकी स्वीकृति न दी। प्रेमी अपने परिवार से बात करने की हिम्मत तक न जुटा पाया। प्यार का यह सपना दिखा और बस दिखते ही टूट गया। इसके बाद जीता कौर ने किसी भी सा सांसारिक प्रेम का सपना न देखा। बस दिन रात एक ही धुन कि इस समाज को बदलना है। इस बदलाहट के लिए दिन रात काम करना है। निरंतर काम ही काम। उसे कैंसर हो गया लेकिन फिर भी आराम न किया। देहांत से कुछ ही दिन/सप्ताह पहले मानसा के कामरेड हरभगवान भीखी ने जीता कौर से एक औपचारिक मुलाकात की। मीडिआ के लिए कुछ सवाल पूछे। किसी को ऐसी आशंका तक न थी कि वह इतनी जल्दी हमसे बिछड़ जाएगी। हरभगवान भीखी की मुलाकात को आप पढ़ सकते हैं नक्सलबाड़ी (पंजाबी) में। अगर आपके पास उससे जुडी कोई याद हो तो वह भी हमें भेज सकते हैं। जिन लोगों ने समाज को बदलने के लिए अपना सारा जीवन दांव पर लगा दिया, हर सुख त्याग दिया उनकी ादों को संजोना और संभालना हम सभी का नैतिक कर्तव्य बनता है। हो सकता है आप जीता कौर के संगठन ा विचारों से सहमत न हों लेकिन ह तो आपको भी मानना ही लड़ेगा कि उसने अपनी ज़िंदगी समाज को बेहतर बनाने के मकसद को सामने रख कर लगाई। जीता कौर जैसी युवाओं को ढूंढ़ने में आज के पारम्परिक वाम दल बहुत कमज़ोर हैं। वे कुछ नहीं कर पा रहे। समाज में बदलाव चाहने वाले हर व्यक्ति को आगे आना होगा। खुद जागना होगा दूसरों को भी जगाना होगा। हमारे वक़्तों की वीरांगना कामरेड जीता कौर की चर्चा नक्सलबाड़ी स्क्रीन अंग्रेजी में भी है। आपके पास ऐसी कोई भी जानकारी हो तो हमें अवश्य भेजें। उन लोगों के विवरण संभालना हम सभी का कर्तव्य है जिन्होंने समाज को बदलने के लिए अपनी हर सांस तक लगा दी। कामरेड जीता कौर के संबंध में विवरण और तस्वीरें हमें भेजी कामरेड हरभगवान भीखी ने।  हम उनके आभारी हैं। --न्यूज़ मेकर