Sunday, September 13, 2020

नक्सली रोशनलाल राणा और सुनील कुमार गिरफ्तार

 पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया से जुड़े हैं दोनों 
 हजारीबाग:13 सितंबर 2020: (सोशल मीडिया//इंटरनेट//नक्सलबाड़ी स्क्रीन)::
मध्य भारत की नक्सली सरगर्मियों पर
पंजाबी पत्रिका सुर्ख रेखा का विशेषांक 
प्रतीकात्मक तस्वीर 
कोरोना का कहर बुरी तरह सामने आने के बावजूद नक्सली संगठनों की गतिविधियों में कोई रुकावट या धीमी गति जैसा कुछ भी देखने को नहीं मिला। पंजाब से पंजाबी में छपती नक्सली पत्रिकाओं के मुताबिक नक्सली संगठन पूरे जोशो खरोश के साथ अपनी सरगर्मियां चला रहे हैं। साथ ही वे अपनी मीटिंगें भी कर रहे हैं और सम्मेलन भी आयोजित कर रहे हैं। इन पत्रिकायों से जुड़े सूत्रों  के मुताबिक नक्सली संगठन परम्परिक  मुकाबले अधिक काम कर रहे हैं।  पंजाबी की नक्सली पत्रिका "सुर्ख रेखा" ने अपने मार्च-अगस्त 2020 के अंक को इस बार विशेषांक के तौर पर प्रस्तुत किया है। इसमें चार पृष्ठों का रंगीन कवर है और बाकी 138 पृष्ठ अलग हैं। इस तरह कुल कुल-142 पृष्ठ की इस पत्रिका की कवर परे कीमत लिखी है 60/- रूपये।  इस विशेष अंक में इस बार भी क़ाफी कुछ है। कवर स्टोरी सीपीआई (माओवादी) के बस्तर सम्मेलन को बनाया गया है और इसकी तस्वीरें भी फ्रंट पेज पर प्रकशित की गयी हैं। पत्रिका के मुताबिक यह सम्मेलन कोरोना काल के नियमों और बंदिशों की धज्जियां उड़ाते हुए 18 से 20 जून 2020 तक हुआ। इस मौके पर आदिवासियों की  बस्तर में की गई नाकाबंदी की तस्वीर भी दिखाई गई है जिसमें प्रवेश वर्जित के बैनर लगे भी नज़र आते हैं। इस स्टोरी के ज़रिये यह कहने की कोशिश की गयी कि बस्तर में सीपीआई (माओवादी)की ही चलती है। इसी तरह के प्रचार से पंजाब में भी इस आंदोलन को फिर से खड़ा करने की कोशिशें नज़र आती हैं। 
इसी तरह सुरक्षा बलों की खबरें भी आ रही हैं। झारखंड के हजारीबाग में पुलिस के हाथ पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (PLFI) के दो नक्सलियों को पकड़ने में कामयाबी लगी है जो लगातार ऑयल एंड नेचुरल गैस कार्पोरेशन (ओएनजीसी) के अधिकारियों को रंगदारी देने के लिए लगातार धमकियों दे रहे थे। यह सिलसिला काफी देर से जारी था। आखिर तंग आ कर जब कम्पनी ने इसका खुलासा सुरक्षा बलों से किया तो नक्सली कारकुनों को पकड़ने के लिए  जाल बिछाया गया। गौरतलब है कि जिस पैसे को लोग या प्रशासन रंगदारी कहता है कम्युनिस्ट संगठनों में उसी पैसे को लेवी कहा जाता है। यह लेवी पार्टी स्वयं के कारकुनों और अन्य जानकारों से भी मांग सकती है। कम्युनिस्ट आंदोलनों के फंड की कमी इसी तरफ पूरी होती है।  
नक्सलियों को पकड़े जाने के घटनाक्रम पर हजारीबाग के पुलिस अधीक्षक कार्तिक एस ने मीडिया को बताया कि पीएलआफआई के दोनों नक्सलियों को पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी कर शनिवार की रात को धर दबोचा। उन्होंने इसका काफी और विस्तार भी दिया। उन्होंने बताया कि अपराधियों ने ओएनजीसी के अधिकारियों से रंगदारी मांगने की बात स्वीकारी है। दोनों की पहचान रोशनलाल राणा और सुनील कुमार के रूप में की गयी है। रोशन लाल के परिवार का पता लगाया गया तो पता चला कि वह गणेश राणा का बेटा है। इसी तरह सुनील कुमार संतो प्रसाद का बेटा है। 
कार्तिक ने बताया कि नक्सलवाद को काबू में करने के लिए हमारा अभियान तेज़ हैं और पिछले कुछ माह में माओवादियों के इस अलग हुए गिरोह पीएलएफआई के कुल 15 नक्सलियों को पुलिस ने हजारीबाग में गिरफ्तार करने में सफलता पायी है। जिनमें उनका जोनल कमांडर नंद किशोर महतो भी शामिल है। ज़ाहिर है कि यह करवाई नक्सली संगठनों पर काफी बड़ा आघात है। फिर भी यह स्पष्ट नहीं हो सका कि इन 15 
प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (PLFI) के नाम पर ओएनजीसी प्रभा कंपनी के डीजीएम अमित सिंह एवं अन्य लोगों से लेवी मांगने वाले दो अपराधियों को केरेडारी व बड़कागांव पुलिस ने गिरफ्तार किया है।  थाना प्रभारी ललित कुमार ने बड़कागांव थाना में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके यह जानकारी दी। 
उन्होंने बताया कि वरिष्ठ पदाधिकारियों को मिली गुप्त सूचना के आधार पर बड़कागांव थाना में दर्ज केस संख्या 79/20 के अप्राथमिक अभियुक्त रोशन लाल (पिता गणेश राणा) एवं सुनील कुमार (पिता संतो प्रसाद) को गिरफ्तार किया गया है। दोनों ग्राम पतरा खुर्द के निवासी हैं।  इन्हें पतरा खुर्द से ही गिरफ्तार किया गया है। 
थाना प्रभारी ने बताया कि गिरफ्तार किये गये अपराधियों ने स्वीकार किया है कि इन्होंने ओएनजीसी प्रभा कंपनी के डीजीएम अमित कुमार सिंह एवं अन्य लोगों से लेवी वसूली है। दोनों ने यह भी माना है कि उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ के दिनेश गोप एवं अवधेश जायसवाल ने बड़कागांव के उरीमारी, पतरातू व भुरकुंडा क्षेत्र में नंद किशोर महतो को एरिया कमांडर बनाया है। 
ये दोनों उसी के निर्देश पर कंपनियों से लेवी की वसूली करते थे। थाना प्रभारी ने बताया कि दोनों अपराधियों से दो मोबाइल फोन बरामद हुए हैं। इसका कॉल डिटेल भी पुलिस के हाथ लगा है। छापामारी दल का नेतृत्व केरेडारी के थाना प्रभारी बम बम सिंह ने की। 
इनका सहयोग बड़कागांव थाना के पुलिस अवर निरीक्षक बबलू कुमार, पुलिस अवर निरीक्षक दीपक कुमार, पुलिस अवर निरीक्षक अभय कुमार, पुलिस अवर निरीक्षक दिलीप कुमार, पुलिस अवर निरीक्षक अमित कुमार, पुलिस अवर निरीक्षक उत्तम तिवारी एसआइटी हजारीबाग एवं सशत्र बल ने किया।  सुरक्षा बलों लिए बहुत बड़ी उपलब्धि भी है। 
इसी तरह पंजाब के गांव अचरवाल में इस बार भी 12 सितंबर को शहीद कामरेड अमर सिंह अचरवाल  की बरसी मनाई गई। वही कामरेड अमर सिंह अचरवाल एक ऐसा लोकप्रिय शख्स जिसका मानना था कि कभी भी स्कियोरिटी के लामलश्कर किसी को भी सुरक्षा नहीं दे सकते। व्यक्ति की नीतियां ही उसकी सुरक्षा करती हैं। कामरेड अचरवाल पंजाब की भूमि पर सक्रिय जन समर्थक योद्धाओं को एकजुट करने के प्रयासों में थे। उन्होंने बहुत  बदले लेकिन स्वर एक ही रहा। इसी बीच उनकी हत्या कर दी गयी। यह भी एक  लम्बी कहानी है जिसकी चर्चा फिर कभी सही। 
इस मौके पर कामरेड कंवलजीत सिंह खन्ना, कामरेड सुखदर्शन नत्त, कामरेड निर्भय ढुडीके, जसबीर नत्त, अवतार रसूलपुर, हरबंस कौर गौंसला, बी की यू (एकता-डकौंदा)नेता महिंद्र सिंह कमालपुरा इत्यादि कई सक्रिय नेताओं ने सम्बोधित किया। इस प्रकार इस तरह के आयोजन पंजाब में इस आंदोलन  फिर से तैयार कर रहे हैं।  लोग बहुत ही उत्साह और जोश के  साथ ऐसे आयोजनों में आते हैं।  
वास्तव में कामरेड अमर सिंह अचरवाल वाम नक्सली सियासत में एक ऐसा रणनीतिकार भी था जिसके सुझाव, और विचार  होने वाले फैसलों पर असर डालते थे। इसलिए कंर्फ्ड अचरवाल को पंजाब की सियासत से हटाने वाले लोग कौन होंगें शायद इसे समझना ज़रा भी मुश्किल न लगे चाहे उन हत्यारों के नाम और रूप कोई भी क्यूं न हों। एक ऐसा व्यक्ति हमसे छीन गया जिसे किसी सरकार की सुरक्षा पर नहीं बल्कि अपने लोगों की सुरक्षा पर भरोसा था। इस विश्वास को तोड़ने का प्रयास बहुत पहले भी होता रहा है। सरकारी सुरक्षा लेने की गुहार लगाने   खड़ा वह व्यक्ति आज भी अपने विचारों के ज़रिये इसी रहस्य को समझाने के लिए उत्सुक है। गोलिया चला कर उसका जिस्म तो दुनिया से हटा दिया गया लेकिन उसके विचार आज भी जगमगा रहे हैं।