Friday, November 19, 2021

जनांदोलन अहंकारी और निरंकुश सत्ताओं को भी हरा सकते है

भाकपा(माले) के नेता दीपंकर भट्टाचार्य ने दी किसानों को बधाई 


नई दिल्ली
: 19 नवंबर 2021: (नक्सलबाड़ी स्क्रीन ब्यूरो)::

भाकपा माले ने कृषि कानूनों की वापसी को आंदोलन की जीत बताया है। पार्टी के महासचिव दिपांकर  भट्टाचार्य ने इस मकसद का बयान भी जारी किया है। इस संबंध में उन्होंने अपने अकाउंट से और साथ ही पार्टी के अकाउंट  से ट्वीट भी जारी किए। इस अवसर पर भाकपा मेल ने तेज़ी से प्रतिक्रिया व्यक्त की। 

प्रधानमंत्री की तरफ से इन कृषि कानूनों की वापसी पर कामरेड  भट्टाचार्य ने बधाई भी दी। कृषि क़ानूनों के बाद अन्य दमनकारी व विभेदकारी क़ानूनों की वापसी तथा लेबर कोड व परिसंपत्तियों की बिक्री जैसे कॉरपोरेट परस्त कदमों को निरस्त  करवाने के लिए कदम बढ़ाए जाएँ मोदी सरकार द्वारा थोपे गए काले कृषि क़ानूनों की वापसी के लिए साल भर चले किसानों के ऐतिहासिक संघर्ष की जीत पर भाकपा (माले) किसानों को गर्मजोशी भरी बधाई देती है. इस जीत का स्पष्ट संदेश है कि जनांदोलनों की ताकत से बेहद अहंकारी और निरंकुश सत्ताओं को भी शिकस्त दी जा सकती है।  इसके साथ ही पार्टी ने अब अन्य मांगों को भी उठाना शुरू कर दिया है। इनमें सीएएए को हटवाना भी शामिल है। 

कृषि वापसी पर प्रधानमंत्री के इस ऐलान के ढंग भी पार्टी ने तीखी आलोचना की और इसे गरिमाविहीन बताया। पार्टी महासचिव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेहद गरिमाहीन तरीके से कृषि क़ानूनों की वापसी की घोषणा की। उन्होंने “राष्ट्र” से कृषि क़ानूनों को वापस लेने के लिए माफी मांगी. पर उन्होंने किसानों को देशद्रोही कहने और उन पर दमन ढाहने के लिए माफी नहीं मांगी। पिछले एक साल में भाजपा प्रायोजित पुलिस दमन और दिल्ली के बार्डरों की कठोर परिस्थितियों के चलते 700 से अधिक किसान प्राण गंवा बैठे। इस बात को ंतो इतिहास  प्रदर्षनकारी किसान। 

अपने आंदोलन और एकता के बल पर किसान कृषि क़ानूनों को पीछे धकेलने में कामयाब हो गए हैं। इसके साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी), किसान नेताओं पर दर्ज झूठे मुकदमों की वापसी और आंदोलनकारी किसानों के विरुद्ध घृणा और हिंसा को उकसाने वाले मंत्री अजय मिश्रा जैसों के इस्तीफे के लिए उनका संघर्ष जारी रहेगा।  

इस लम्बे और सख्त संघर्ष के ज़रिए कृषि क़ानूनों को वापस करवाने में मिली इस जीत को, सीएए और यूएपीए जैसे दमनकारी, विभेदकारी क़ानूनों, लेबर कोड व सार्वजनिक परिसंपत्तियों की बिक्री जैसी  कॉरपोरेट परस्त नीतियों तथा भारत के संविधान व उसकी धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक व संघीय बुनियाद पर किए जा रहे हमलों के खिलाफ चल रहे संघर्षों को तेज करने के हौसले को दृढ़ करने के काम आना चाहिए। ज़हर है कि कृषि कानूनों के वापसी के बाद अब सीएए और यूएपीए के खिलाफ आंदोलन तेज़ होगा। कृषि कानूनों की वापसी से मिले जीत का जोश भी इस आंदोलन को और तेज़ करने में काम आएगा। 

+*दीपंकर भट्टाचार्य भाकपा(माले) के महासचिव 



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