Sunday, September 8, 2024

31 मार्च 2026 तक देश नक्सलवाद से मुक्त होगा: अमित शाह

बस्तर क्षेत्र में 4,000 से अधिक कर्मियों की चार नई बटालियन तैनात

नई दिल्ली: 8 सितंबर 2024: (नक्सलबाड़ी स्क्रीन डेस्क)::


केंद्र सरकार एक बार फिर नए जोश और नई रणनीति के तहत नक्सलवाद के पूर्ण उन्मूलन के लिए नया अभियान शुरू करने की तैयारी में है। इस नई नीति के अंतर्गत अब झारखंड से तीन और बिहार से एक बटालियन हटाकर बस्तर में तैनात की जा रही है। इससे सर्कार का दबाव नक्सलवादियों पर बढ़ने की संभावना है। 


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि देश को 31 मार्च 2026 तक पूरी तरह से नक्सलवाद मुक्त करने का लक्ष्य है। इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में 4,000 से अधिक कर्मियों की चार नई बटालियन तैनात कर रहा है। शाह के अनुसार, नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई अब अपने अंतिम चरण में है और इसके पूर्ण खात्मे के लिए निर्णायक कार्रवाई की जा रही है।

नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की इस कड़ी कार्रवाई से  केंद्र सरकार नक्सली संगठनों को कमज़ोर कर पाने में कितनी सफल रहेगी इसकी उम्मीद काफी की जा रही है। गौरतलब है कि सुरक्षा बलों ने इस वर्ष नक्सलियों के खिलाफ बड़ी सफलताएं हासिल की हैं। मुठभेड़ों में अब तक 153 नक्सली मारे जा चुके हैं। सीआरपीएफ की 40 बटालियन पहले से ही छत्तीसगढ़ में तैनात हैं, जिनमें कोबरा इकाइयाँ भी शामिल हैं। अब झारखंड और बिहार में नक्सली गतिविधियों के नियंत्रण के बाद वहां से चार बटालियन हटाकर छत्तीसगढ़ के सबसे अधिक प्रभावित बस्तर क्षेत्र में भेजी जा रही हैं।

अतीत के प्रयोगों से प्रेरित हो कर अब बस्तर में नक्सल विरोधी अभियानों की मजबूत तैयारी का एक नया स्क्रिप्ट लिख लिया गया है। सीआरपीएफ की नई बटालियनों की तैनाती रायपुर से 450-500 किलोमीटर दूर बस्तर के दुर्गम इलाकों में की जाएगी। बल इन क्षेत्रों में फारवर्ड ऑपरेटिंग बेस (एफओबी) स्थापित करेगा, ताकि सुरक्षा सुनिश्चित होने के बाद विकास कार्यों की शुरुआत की जा सके। छत्तीसगढ़ में पिछले तीन वर्षों में 40 एफओबी स्थापित किए गए हैं, जो नक्सल विरोधी अभियानों को मजबूत करते हैं।

इस अभियान की सफलता के लिए जहां फ़ोर्स की ज़रूरत थी वहीँ तकनीकी तौर भी बहुत कुछ चाहिए था। प्रौद्योगिकी और संसाधनों की आवश्यकता लगातार महसूस की जाती रही है। 
सीआरपीएफ के अधिकारियों का मानना है कि दक्षिण बस्तर में अभियानों के लिए लगातार तकनीकी और संसाधनों की आवश्यकता होगी। यहां नक्सलियों द्वारा घात लगाकर हमले और विस्फोटक उपकरणों का खतरा बना रहता है, इसलिए बल को हेलीकॉप्टर और अन्य संसाधनों से सुदृढ़ किया जा रहा है। नई बटालियनों की तैनाती का उद्देश्य बस्तर के 'नो-गो' क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित करना और तय समय सीमा के भीतर नक्सलवाद को समाप्त करना है।

निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि सरकार इस मामले में पूरी तरह से आश्वस्त है। सरकार और सुरक्षा बलों का नक्सलवाद के खिलाफ यह निर्णायक कदम दर्शाता है कि देश नक्सलवाद के खात्मे की ओर तेजी से बढ़ रहा है। अमित शाह की प्रतिबद्धता और सीआरपीएफ की रणनीति इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। 

अब देखना है कि इस नए अभियान के नतीजे कितनी जल्दी सामने। 

No comments:

Post a Comment