Monday, September 29, 2025

‘भारत मंथन-2025: नक्सल मुक्त भारत पर हुई विस्तृत चर्चा

गृह मंत्रालय//HM Amit Shah//Regarding Naxal Movement//28th September 2025 at 8:32 PM by PIB Delhi 
पीएम मोदी के नेतृत्व में लाल आतंक का खात्मा दृढ़ता से दोहराया 
नई दिल्ली: 28 सितंबर 2025: (PIB Delhi//नक्सलबाड़ी स्क्रीन डेस्क)::
*केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में ‘भारत मंथन-2025: नक्सल मुक्त भारत, पीएम मोदी के नेतृत्व में लाल आतंक का खात्मा’ के समापन सत्र को संबोधित किया

*1960 के दशक से अब तक, वामपंथी हिंसा में जिन लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी, जिन्होंने अपनों को खोया, शारीरिक व मानसिक विपदाएं झेलीं है, उन सभी को नमन करता हूँ

*जो लोग यह प्रचार कर रहे हैं कि वामपंथी उग्रवाद विकास न पहुँच पाने के कारण फैला, वे देश को गुमराह कर रहे हैं

*जिनके हाथ में हथियार हैं, उन्हें आदिवासियों की चिंता नहीं है, बल्कि दुनियाभर से रिजेक्ट हो चुके वामपंथी विचार को जिंदा रखने की चिंता है

*नक्सल प्रभावित इलाकों तक विकास न पहुंचने के पीछे का एक मात्र कारण नक्सलवाद है


*जब तक नक्सलवाद को वैचारिक पोषण, लीगल समर्थन और वित्तीय पोषण करने वाले लोगों को एक्सपोज नहीं किया जाएगा, तब तक नक्सलवाद की समस्या समाप्त नहीं होगी

*एक जमाने में पशुपतिनाथ से तिरुपति तक फैले रेड कॉरिडोर का नारा लगाया जाता था, तो चिंता होती थी, मगर आज कोई इसका जिक्र करता है तो लोग हँसते हैं

*जब तक वामपंथी दल पश्चिम बंगाल में सत्ता में नहीं आये तब तक वहाँ नक्सलवाद पनपा और जैसे ही वे सत्ता में आए, नक्सलवाद वहाँ से गायब हो गया

*हथियार छोड़ने वालों के लिए रेड-कार्पेट है, लेकिन निर्दोष आदिवासियों को नक्सली हिंसा से बचाना सरकार का धर्म है

*आत्मसमर्पण के बढ़ते आँकड़ें बताते हैं कि नक्सलियों के पास समय कम बचा है

*बड़े-बड़े लेख लिखकर सरकार को उपदेश देने वाले बुद्धिजीवी विक्टिम ट्राइबल के लिए लेख क्यों नहीं लिखते? उनकी संवेदना सिलेक्टिव क्यों है?

*मोदी सरकार सरेंडर की नीति को बढ़ावा देती है, मगर गोली का जवाब गोली से दिया जायेगा

*ऑपरेशन ब्लैक फारेस्ट के दौरान वामपंथी राजनीतिक दल अभियान को रुकवाने के लिए पत्र लिखकर गुहार लगाने लगे, जिससे उनका असली चेहरा सामने आ गया

*जब तक छत्तीसगढ़ में विपक्षी पार्टी की सरकार थी, संयुक्त अभियानों में अधिक सहयोग नहीं मिलता था, 2024 में हमारी पार्टी की सरकार बनने के एक साल में 290 नक्सलियों को मार गिराया गया

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में ‘भारत मंथन-2025: नक्सल मुक्त भारत, पीएम मोदी के नेतृत्व में लाल आतंक का खात्मा’ के समापन सत्र को संबोधित किया।

इस अवसर पर केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि 31 मार्च, 2026 तक भारत नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक भारतीय समाज नक्सलवाद का वैचारिक पोषण, कानून समर्थन और वित्तीय पोषण करने वाले लोगों को समझ नही लेता तब तक नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई समाप्त नहीं होगी। 

उन्होंने कहा कि आंतरिक सुरक्षा और देश की सीमाओं की सुरक्षा हमेशा से हमारी विचारधारा का प्रमुख अंग रही है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी के मूल उद्देश्यों में तीन चीज़ें बहुत प्रमुख थीं- देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और भारतीय संस्कृति के सभी अंगों का पुनरूत्थान। केन्द्रीय गृह मंत्री ने 1960 के दशक से अब तक, वामपंथी हिंसा में जिन लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी, जिन्होंने अपनों को खोया, शारीरिक व मानसिक विपदाएं झेलीं है उन सभी लोगों को नमन किया। उन्होंने कहा कि जब तक वामपंथी दल पश्चिम बंगाल में सत्ता में नहीं आये तब तक वहाँ नक्सलवाद पनपा और जैसे ही वे सत्ता में आए, नक्सलवाद वहाँ से गायब हो गया।

श्री अमित शाह ने कहा कि जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सत्ता संभाली तब देश की आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से तीन महत्वपूर्ण हॉटस्पॉट- जम्मू कश्मीर, नॉर्थईस्ट और वामपंथी कॉरिडोर, ने देश की आंतरिक सुरक्षा को छिन्न-भिन्न करके रखा था। उन्होंने कहा कि लगभग 4-5 दशकों से हज़ारों लोग इन तीनों जगहों पर पनपी औऱ फैली अशांति के कारण जान गंवा चुके थे, संपत्ति का बहुत नुकसान हुआ था, देश के बजट का बहुत बड़ा हिस्सा गरीबों के विकास की जगह इन हॉटस्पॉट को संभालने में जाता था और सुरक्षा बलों की भी अपार जानहानि हुई थी। उन्होंने कहा कि श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनते ही इन तीनों हॉटस्पॉट पर ध्यान केन्द्रित किया गया और स्पष्ट दीर्घकालीन रणनीति के आधार पर काम हुआ। New 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। उन्होंने कहा कि लगभग 70 के दशक की शुरूआत में नक्सलवाद और हथियारी विद्रोह की शुरूआत हुई। 1971 में स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे ज़्यादा 3620 हिंसक घटनाएं हुईं और इसके बाद 80 के दशक में पीपल्स वॉर ग्रुप ने महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, झारखंड बिहार और केरल तक इसका विस्तार किया। उन्होंने कहा कि 80 के दशक के बाद वामपंथी गुटों ने एक दूसरे में विलय की शुरूआत की और 2004 में प्रमुख सीपीआई (माओवादी) गुट का गठन हुआ और नक्सली हिंसा ने बहुत गंभीर स्वरूप ले लिया। उन्होंने कहा कि पशुपति से तिरुपति कॉरिडोर को रेड कॉरिडोर के रूप में जाना जाता था।

श्री अमित शाह ने कहा कि देश के भूभाग का 17 प्रतिशत हिस्सा रेड कॉरिडोर में समाहित था और इस समस्या से 12 करोड़ की आबादी प्रभावित थी। उस वक्त की आबादी का 10 प्रतिशत हिस्सा नक्सलवाद का दंश झेलकर अपना जीवन बिता रहा था। श्री शाह ने कहा उसकी तुलना में दो अन्य हॉटस्पॉट–कश्मीर में 1 प्रतिशत भूभाग आतंकवाद औऱ पूर्वोत्तर में देश का 3.3. प्रतिशत भूभाग अशांति से ग्रस्त था। उन्होंने कहा कि जब 2014 में श्री नरेन्द्र मोदी जी प्रधानमंत्री बने तब मोदी सरकार ने संवाद, सुरक्षा और समन्वय के तीनों पहलुओं पर काम करने की शुरूआत की। इसके परिणामस्वरूप  31 मार्च, 2026 को इस देश से हथियारी नक्सलवाद समाप्त हो जाएगा।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि जहां पहले scattered approach से काम होता था, घटना-आधारित रिस्पॉंस होता था और कोई स्थायी नीति नहीं थी। एक प्रकार से कहें तो सरकार के रिस्पॉंस का स्टीयरिंग नक्सलियों के हाथों में था। श्री शाह ने कहा कि 2014 के बाद सरकार के अभियानों, कार्यक्रमों का स्टीयरिंग भारत सरकार के गृह मंत्रालय के पास है औऱ यह एक बहुत बड़ा नीतिगत परिवर्तन है। उन्होंने कहा कि scattered approach की जगह unified और ruthless approach को अपनाने का काम मोदी सरकार ने किया है।

उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की नीति है जो हथियार छोड़कर सरेंडर करना चाहते हैं, उनके लिए रेड कार्पेट है और उनका स्वागत है, लेकिन अगर हथियार लेकर निर्दोष आदिवासियों को मारना चाहते हैं तो सरकार का धर्म निर्दोष आदिवासियों बचाना और हथियारबंद नक्सलियों का सामना करना है।

श्री अमित शाह ने कहा कि पहली बार भारत सरकार ने बिना किसी कन्फ्यूज़न के एक स्पष्ट नीति अपनाई। उन्होंने कहा कि राज्य पुलिस और केन्द्रीय सुरक्षाबलों को हमने छूट दी और इंटेलीजेंस, इन्फॉर्मेशन शेयरिंग तथा ऑपरेशन में कोऑर्डिनेशन के लिए भारत सरकार और राज्य सरकारों के बीच एक व्यावहारिक सेतु बनाया गया। उन्होंने कहा कि आर्म्स और अम्युनिशन की सप्लाई पर नकेल कसी गई। 2019 के बाद हमें उनकी सप्लाई को लगभग 90 प्रतिशत से अधिक रोकेने में सफलता प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि नक्सलियों का वित्तपोषण करने वालों पर एनआईए और ईडी ने नकेल कसी है, साथ ही हम नक्सलवादियों के अर्बन नक्सल सपोर्ट, लीगल सहायता औऱ मीडिया नरेटिव गढ़ने से भी लड़े हैं। उन्होंने कहा कि हमने सेंट्रल कमिटी के मेंबर्स पर लक्षित तरीके से कार्रवाई की और 18 से अधिक सेंट्रल कमिटी के मेंबर 19 अगस्त से आज तक न्यूट्रलाइज़ किए जा चुके हैं। गृह मंत्री ने कहा कि सुरक्षा वैक्यूम भरने का काम भी किया गया है और ऑपरेशन ऑक्टोपस और ऑपरेशन डबल बुल जैसे टारगेटेड ऑपरेशन किए गए हैं। उन्होंने कहा कि डीआरजी, एसटीएफ, सीआरपीएफ और कोबरा की संयुक्त ट्रेनिंग की भी शुरूआत की। चारों अब मिलकर अभियान चलाते हैं और उसका चेन ऑफ कमांड भी अब स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि एकीकृत प्रशिक्षण से हमारी सफलता में बहुत अंतर आया है। इसके साथ-साथ फॉरेंसिक जांच शुरू की गई, लोकेशन ट्रैकिंग सिस्टम उपलब्ध कराया गया, मोबाइल फोन की गतिविधियों को राज्य पुलिस को उपलब्ध कराया गया, साइंटिफिक कॉल लॉग्स एनालिसिस के सॉफ्टवेयर बने औऱ सोशल मीडिया एनालिसिस से भी उनके छुपे हुए सपोर्टर्स को ढूंढने का काम हुआ। इससे नक्सल विरोधी अभियान में न सिर्फ तेज़ी आई बल्कि वे सफल औऱ परिणामलक्षी भी हुए।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 2019 के बाद हमने राज्यों के क्षमता निर्माण पर भी बल दिया। SRE और SIS योजना के तहत लगभग 3331 करोड़ रूपए जारी किए गए, जो लगभग 55 प्रतिशत की वद्धि दर्शाता है। इसके माध्यम से फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन बढ़ाए गए और इस पर लगभग 1741 करोड़ रूपए खर्च हुए। उन्होंने कहा कि पिछले 6 साल में 336 नए सीएपीएफ के कैंप बनाकर सुरक्षा के वैक्यूम को भरने का काम मोदी सरकार ने किया। इसके परिणामस्वरूप 2004 -14 के मुकाबले 2014-24 में सुरक्षाबलों की मृत्यु में 73 प्रतिशत की कमी आई औऱ नागरिकों की मृत्यु में 74 प्रतिशत कमी आई। श्री शाह ने कहा कि पहले हमें छत्तीसगढ़ में सफलता नहीं मिलती थी क्योंकि वहाँ विपक्ष की सरकार थी। 2024 में हमारी सरकार बनी और 2024 में किसी एक साल के में सबसे अधिक 290 नक्सलियों को न्यूट्रलाइज़ करने का काम किया गया।

गृह मंत्री ने कहा कि हम किसी को नहीं मारना चाहते। उन्होंने कहा कि  290 न्यूट्रलाइज़्ड नक्सलियों के मुकाबले 1090 गिरफ्तार किए और 881 ने सरेंडर किया। उन्होंने कहा कि यह बताता है कि सरकार की  अप्रोच क्या है। हम पूरा प्रयास करते हैं कि नक्सली को सरेंडर या अरेस्ट करने का पूरा मौका दिया जाता है। लेकिन जब नक्सलवादी हाथ में हथियार लेकर भारत के निर्दोष नागरिकों को मारने निकलते हैं तो सुरक्षाबलों के पास कोई और चारा नहीं होता और उन्हें गोली का जवाब गोली से ही देना होता है। श्री शाह ने कहा कि 2025 में अब तक 270 नक्सलियों को न्यूट्रलाइज़ किया गया है, 680 गिरफ्तार किए गए हैं और 1225 ने आत्मसमर्पण किया है। दोनों वर्षों में आत्मसमर्पण और अरेस्ट की संख्या न्यूट्रलाइज़्ड की संख्या से अधिक है। आत्मसमर्पण करने वालों की संख्या बताती है कि नक्सलियों का समय अब बहुत कम बचा है।

श्री अमित शाह ने कहा कि नक्सलियों ने तेलंगाना-छत्तीसगढ़ सीमा पर Karregutaa hiils पर बहुत बड़ा कैंप बनाया था जहां बहुत सारे हथियार थे, दो साल का राशन था, हथियार और आईईडी बनाने की फैक्ट्रियां थी और वहां पहुंचना बहुत मुश्किल था। उन्होंने कहा कि 23 मई 2025 को उनके इस कैंप को ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट में नष्ट कर दिया गया औऱ 27 हार्डकोर नक्सली मारे गए। साथ ही बीजापुर में 24 हार्डकोर नक्सली मारे गए हैं। गृह मंत्री ने कहा कि इस ऑपरेशन के माध्यम से छत्तीसगढ़ में बचेखुचे नक्सलियों की रीढ़ टूट गई है। श्री शाह ने कहा कि वर्ष 2024 में जो नक्सली न्यूट्रलाइज़्ड किए गए, उनमें 1 जोनल कमिटी मेंबर, 5 सबज़ोनल कमिटी मेंबर, 2 स्टेट कमिटी मेंबर, 31 डिविज़नल कमिटी मेंबर और 59 एरिया कमिटी मेंबर शामिल हैं।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 1960 से 2014 तक कुल 66 फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन थे और मोदी सरकार के 10 साल में नए 576 फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन बनाने का काम हुआ। 2014 में 126 नक्सलाइट ज़िले थे, अब 18 नक्सलाइट ज़िले ही बचे हैं। मोस्ट अफेक्टेड ज़िले 36 से घटकर 6 बचे हैं। पुलिस स्टेशन लगभग 330 थे अब 151 रह गए हैं और इनमें भी 41 नए बनाए गए पुलिस स्टेशन हैं। पिछले 6 साल में 336 सुरक्षा कैंप बनाए गए और नाइट लैंडिंग के लिए 68 हैलीपैड बनाए गए हैं। हमारे सीआरपीएफ के जवानों के लिए हमने 76 नाइट लैंडिंग हैलीपैड बनाए हैं। उन्होंने कहा कि नक्सलियों की आय़ कम करने के लिए एनआईए, ईडी और राज्य सरकारों ने करोडों रूपए की संपत्तियां ज़ब्त की हैं। गृह मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के समन्वय के लिए भी उनके स्तर पर मुख्यमंत्रियों के साथ 12 बैठकें हुई हैं और अकेले छत्तीसगढ़ में 8 बैठकें हुई हैं। छत्तीसगढ़ सरकार नक्सलियों के आत्मसमर्पण के लिए ल्यूक्रेटिव पैकेज लाई है। उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवादी क्षेत्र में विकास के लिए भी कई काम किए गए हैं। गृह मंत्री ने कहा कि दुनिया में जहां भी वामपंथी विचारधारा पनपी, वहां वामपंथी विचारधारा औऱ हिंसा का चोली दामन का रिश्ता रहा है औऱ यही नक्सलवाद की जड़ है।

श्री अमित शाह ने कहा कि जो लोग यह प्रचार कर रहे हैं कि वामपंथी उग्रवाद का मूल कारण विकास है वे देश को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 60 करोड़ गरीबों के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी अनेक योजनाएं लाए हैं, नक्सलवादी क्षेत्र में कौन इन योजनाओं को नहीं पहुंचने देता। उन्होंने कहा कि सुकमा या बीजापुर में स्कूल नहीं पहुंचा तो उसका दोषी कौन है। वामपंथी क्षेत्र में सड़कें क्यों नहीं बन सकीं क्योंकि नक्सलियों ने कॉट्रैक्टर्स की हत्या कर दी। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े लेख लिखकर सरकार को उपदेश देने वाले बुद्धिजीवी विक्टिम ट्राइबल के लिए लेख क्यों नहीं लिखते? उनकी संवेदना सिलेक्टिव क्यों है? उन्होंने कहा कि न तो नक्सलियों के समर्थक आदिवासियों का विकास चाहते और न ही उनके मन में उनकी चिंता है, बल्कि उन्हें दुनियाभर में रिजेक्ट होती अपनी विचारधारा को ज़िदा रखने की चिंता है। श्री शाह ने  कहा कि विकास न पहुंचने का एकमात्र कारण वामपंथी विचारधारा है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि नक्सलियों ने पहला निशाना संविधान और फिर न्यायिक व्यवस्था को बनाया। संवैधानिक वैक्यूम खड़ा किया और फिर स्टेट की कल्पना को निशाना बनाया और स्टेट का वैक्यूम खड़ा किया। उन्होंने कहा कि जो भी उनके साथ नहीं जुड़े उन्हें स्टेट का इन्फॉर्मर बनाकर जनता की अदालत में फांसी की घोषणा कर दी।

इन्होंने पैरेलल सरकार बनाई। श्री शाह ने कहा कि देश के कल्याण के लिए अपनी विचारधारा से उपर उठने की ज़रूरत है।  उन्होंने कहा कि गवर्नेंस के वैक्यूम के कारण ही वहाँ  विकास, साक्षरता, स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं पहुंच सकी हैं।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन ब्लैक फारेस्ट के दौरान वामपंथी राजनीतिक दल अभियान को रुकवाने के लिए पत्र लिखकर गुहार लगाने लगे, जिससे उनका असली चेहरा सामने आ गया। उन्होंने कहा कि नक्सलियों के साथ कोई सीज़फायर नहीं होगा। अगर उन्हें सरेंडर करना है तो सीज़फायर करने की ज़रूरत ही नहीं है, उन्हें हथियार डाल देने चाहिए। पुलिस एक भी गोली नहीं चलाएगी और उन्हें रिस्टेब्लिश करेगी। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन ब्लैक फ़ॉरेस्ट होते ही नक्सलियों के समर्थकों की सारी छद्म सिम्पैथी एक्सपोज़ हो गई।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 2014-2024 के दौरान वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में 12 हज़ार किलोमीटर सड़कें बनी हैं, 17,500 सड़कों के लिए बजट स्वीकृत हुआ, 6300 करोड़ रूपए की लागत से 5000 मोबाइल टॉवर लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि 1060 बैंक शाखाएं खोली गई, 937 एटीएम लगाए गए, 37,850 बैंकिग कॉरेस्पॉडेंट्स बनाए गए, 5899 डाकघर खोले गए, 850 स्कूल और 186 अच्छे स्वास्थ्य केन्द खोले गए हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार नियद नेल्लानार योजना के तहत आयुष्मान भारत कार्ड, आधार कार्ड, वोटिंग कार्ड, स्कूल बनाना, राशन दुकान, आंगनवाड़ी स्वीकृत करने के काम में लगी है।

पूर्वोत्तर में उग्रवाद का जिक्र करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर में 2004-2014 की तुलना में  2014-2024 में सुरक्षाकर्मियों की मृत्यु में 70 प्रतिशत की कमी आई है। इसी प्रकार, 2004-14 की तुलना में 2014-24 में नागरिकों की मृत्यु में 85 प्रतिशत की कमी आई है। मोदी सरकार ने 12 महत्वपूर्ण शांति समझौते कर हाथ में हथियार लेकर घूमने वाले 10,500 युवाओं को सरेंडर कर मेनस्ट्रीम में लाने का काम किया। उन्होंने कहा कि एक ज़माने में पूरा पूर्वोत्तर अपने आप को देश से कटा हुआ महसूस करता था लेकिन आज आज पूर्वोत्तर ट्रेन, रेलवे, और विमान से जुड़ा हुआ है। श्री शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने भौतिक दूरी के साथ ही दिल्ली औऱ नॉर्थईस्ट के बीच दिलों की दूरी भी कम करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि आज पूर्वोत्तर शांति और विकास के मार्ग पर आगे बढ़ा है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में 2019 में प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में धारा 370 को समाप्त कर दिया गया। उसके बाद सरकार ने सुनियोजित तरीके से विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन से जनता का विश्वास अर्जित किया। उन्होंने कहा कि कश्मीर में पाक प्रायोजित आतंक के सामने बहुत सुनियोजित नीति के तहत मोदी सरकार ने काम किया। श्री शाह ने कहा कि 2004-14 में 7300 हिंसक घटनाओं के मुकाबले 2014-24 में 1800 हिंसक घटनाए हुई हैं। सुरक्षाकर्मियों की मृत्यु में 65 प्रतिशत और नागरिकों की मृत्यु में 77 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि देश का हर कानून आज वहां अमल में है। जम्मू कश्मीर में आज़ादी के बाद पहली बार पंचायत चुनाव हुए और 99.8 प्रतिशत मतदान हुआ। श्री शाह ने कहा कि हम जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की समस्या को धीरे धीरे सुलझाने के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं।

***//आरके / वीवी / आरआर / पीआर//(रिलीज़ आईडी: 2172501)

Sunday, September 7, 2025

दीपांकर ने किया SIR के खिलाफ पूरे देश को लड़ने का आह्वान

Received From Kanwaljeet Singh on Sunday 7th Sep 2025 at 16:50 PM Regarding AIPF Seminar 

SIR के ज़रिए वोट के अधिकार पर ही डाका डालने की साज़िश 

कॉमरेड दीपांकर भट्टाचार्य ने चंडीगढ़ में स्पष्ट किया एक एक नुक्ता 


चंडीगढ़
: 7 सितंबर 2025: (मीडिया लिंक 32//नक्सलबाड़ी स्क्रीन डेस्क)::

ऑल इंडिया पीपल्स फ़ोरम (AIPF) की ओर से कॉमरेड स्वप्न मुखर्जी को समर्पित भाषण शृंखला के तहत “बिहार में कराए जा रहे स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न (SIR) के ज़रिए चुनाव प्रक्रिया पर हमला” विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया गया। इसमें सीपीआई (एमएल) लिबरेशन के राष्ट्रीय महासचिव कॉमरेड दीपांकर भट्टाचार्य मुख्य वक्ता के तौर पर शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कॉमरेड मंगत राम पासला, जीएनडी यूनिवर्सिटी के प्रो. कुलदीप सिंह ने की और मंच संचालन कॉमरेड कंवलजीत सिंह ने किया।

कॉमरेड दीपांकर भट्टाचार्य ने बिहार में चलाए गए स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न (SIR) पर बोलते हुए कहा कि इसके जरिए हमारे अधिकार छीनने की शुरुआत हो रही है। उन्होंने कहा कि जब इस संबंध में विपक्षी पार्टियों का एक प्रतिनिधिमंडल भारत के चुनाव आयोग से मिला तो चुनाव आयोग भाजपा के प्रवक्ता की तरह ही बात करता है। चुनाव आयोग वही बोलता है जो मोदी बोलते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में चुनाव से पहले क़रीब 65 लाख वोटरों को वोटर सूची से बाहर किया जा रहा है। कॉमरेड दीपांकर ने कहा कि महाराष्ट्र में पहले वोट चोरी की गई थी। उन्होंने कहा कि वोट चोरों को गद्दी से उतारना ही होगा, नहीं तो वे संविधान के जरिए मिली नागरिकता और वोट के अधिकार को ही ग़रीबों और अल्पसंख्यकों से छीन लेंगे। उन्होंने कहा कि आज जो लोग बिहार में SIR के खिलाफ लड़ रहे हैं, उसमें पूरे देश को साथ देना चाहिए।

इस मौके पर मंगत राम पासला ने संबोधन करते हुए कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार ने संवैधानिक संस्थाओं पर क़ब्ज़ा कर लिया है। आज भाजपा देश को इतिहास में पीछे ले जाकर दलितों को फिर से ग़ुलाम बनाना चाहती है। उन्होंने कहा कि पंजाब में भी इस ख़तरनाक साज़िश के खिलाफ पोल-खोल अभियान चलाया जाएगा।

इस अवसर पर वरिष्ठ कॉमरेड इंदरजीत सिंह ग्रेवाल, संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय सदस्य प्रसोतम शर्मा, पंजाब किसान यूनियन के सूबा अध्यक्ष रुलदू सिंह मानसा, पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लैेलन बघेल, अजयब सिंह तिवाना, एडवोकेट विपिन कुमार, कॉमरेड लाल बहादुर आदि ने भी संबोधन किया। 

इस मौके पर पुनीत और प्रिंस ने गीतों से माहौल को जीवंत बनाए रखा। पंजाब यूनिवर्सिटी से छात्र संगठन आइसा ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

Sunday, September 8, 2024

31 मार्च 2026 तक देश नक्सलवाद से मुक्त होगा: अमित शाह

बस्तर क्षेत्र में 4,000 से अधिक कर्मियों की चार नई बटालियन तैनात

नई दिल्ली: 8 सितंबर 2024: (नक्सलबाड़ी स्क्रीन डेस्क)::


केंद्र सरकार एक बार फिर नए जोश और नई रणनीति के तहत नक्सलवाद के पूर्ण उन्मूलन के लिए नया अभियान शुरू करने की तैयारी में है। इस नई नीति के अंतर्गत अब झारखंड से तीन और बिहार से एक बटालियन हटाकर बस्तर में तैनात की जा रही है। इससे सर्कार का दबाव नक्सलवादियों पर बढ़ने की संभावना है। 


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि देश को 31 मार्च 2026 तक पूरी तरह से नक्सलवाद मुक्त करने का लक्ष्य है। इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में 4,000 से अधिक कर्मियों की चार नई बटालियन तैनात कर रहा है। शाह के अनुसार, नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई अब अपने अंतिम चरण में है और इसके पूर्ण खात्मे के लिए निर्णायक कार्रवाई की जा रही है।

नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की इस कड़ी कार्रवाई से  केंद्र सरकार नक्सली संगठनों को कमज़ोर कर पाने में कितनी सफल रहेगी इसकी उम्मीद काफी की जा रही है। गौरतलब है कि सुरक्षा बलों ने इस वर्ष नक्सलियों के खिलाफ बड़ी सफलताएं हासिल की हैं। मुठभेड़ों में अब तक 153 नक्सली मारे जा चुके हैं। सीआरपीएफ की 40 बटालियन पहले से ही छत्तीसगढ़ में तैनात हैं, जिनमें कोबरा इकाइयाँ भी शामिल हैं। अब झारखंड और बिहार में नक्सली गतिविधियों के नियंत्रण के बाद वहां से चार बटालियन हटाकर छत्तीसगढ़ के सबसे अधिक प्रभावित बस्तर क्षेत्र में भेजी जा रही हैं।

अतीत के प्रयोगों से प्रेरित हो कर अब बस्तर में नक्सल विरोधी अभियानों की मजबूत तैयारी का एक नया स्क्रिप्ट लिख लिया गया है। सीआरपीएफ की नई बटालियनों की तैनाती रायपुर से 450-500 किलोमीटर दूर बस्तर के दुर्गम इलाकों में की जाएगी। बल इन क्षेत्रों में फारवर्ड ऑपरेटिंग बेस (एफओबी) स्थापित करेगा, ताकि सुरक्षा सुनिश्चित होने के बाद विकास कार्यों की शुरुआत की जा सके। छत्तीसगढ़ में पिछले तीन वर्षों में 40 एफओबी स्थापित किए गए हैं, जो नक्सल विरोधी अभियानों को मजबूत करते हैं।

इस अभियान की सफलता के लिए जहां फ़ोर्स की ज़रूरत थी वहीँ तकनीकी तौर भी बहुत कुछ चाहिए था। प्रौद्योगिकी और संसाधनों की आवश्यकता लगातार महसूस की जाती रही है। 
सीआरपीएफ के अधिकारियों का मानना है कि दक्षिण बस्तर में अभियानों के लिए लगातार तकनीकी और संसाधनों की आवश्यकता होगी। यहां नक्सलियों द्वारा घात लगाकर हमले और विस्फोटक उपकरणों का खतरा बना रहता है, इसलिए बल को हेलीकॉप्टर और अन्य संसाधनों से सुदृढ़ किया जा रहा है। नई बटालियनों की तैनाती का उद्देश्य बस्तर के 'नो-गो' क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित करना और तय समय सीमा के भीतर नक्सलवाद को समाप्त करना है।

निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि सरकार इस मामले में पूरी तरह से आश्वस्त है। सरकार और सुरक्षा बलों का नक्सलवाद के खिलाफ यह निर्णायक कदम दर्शाता है कि देश नक्सलवाद के खात्मे की ओर तेजी से बढ़ रहा है। अमित शाह की प्रतिबद्धता और सीआरपीएफ की रणनीति इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। 

अब देखना है कि इस नए अभियान के नतीजे कितनी जल्दी सामने। 

Wednesday, August 28, 2024

सीपीआईएमएल लिबरेशन का बटाला में राजनीतिक सम्मेलन

 बुधवार 28 अगस्त 2024 15:02 बजे

 पंजाब में राजनीतिक शून्य को भरने के लिए दिया 16 सूत्री कार्यक्रम 


बटाला
: 28 अगस्त 2024: (नक्सलबाड़ी स्क्रीन ब्यूरो)::

एक समय पंजाब में भी नक्सलबाड़ी आन्दोलन बड़े जोर-शोर से उठा था। बलिदानियों के इस आंदोलन ने न केवल एक नए राजनीतिक विकल्प के लिए एक नया इतिहास रचा बल्कि साहित्यिक क्षेत्र में भी बहुत कुछ नया आया जो इस आंदोलन की विचारधारा से प्रेरित था। कई लेखक, कई कवि, कई पत्रकार, कई मंच कलाकार और कई पत्रिकाएँ भी जनता के सामने आये। हालाँकि इनका छपा हुआ स्वरूप बहुत महँगा नहीं था, फिर भी इन पर्चों की माँग अधिक थी।

हेम ज्योति, सियाड़, रोहले बाण, मां, सरदल और कई अन्य पत्र पत्रिकाएं भी। इस आंदोलन को तब और गति मिली जब पंजाबी के प्रसिद्ध समाचारपत्र अजीत अखबार के वर्तमान संपादक और तत्कालीन पत्रिका दृष्टि के संस्थापक संपादक और प्रकाशक सरदार बरजिंदर सिंह हमदर्द ने नक्सलबाड़ी संघर्ष में शहीद हुए नक्सलबाड़ी कार्यकर्ताओं और नेताओं की एक लंबी सूची प्रकाशित की। इस पत्रिका की इस विशेष सामग्री से जहां नक्सली विचारधारा और खुल कर सामने आई, वहीं इस पंजाबी पत्रिका के पाठकों का दायरा भी तेज़ी से बढ़ा।

जब स्थिति बदली तो नक्सलियों के अधिकांश गुट सशस्त्र संघर्ष से वैचारिक संघर्ष की ओर लौट गये। उधर, पंजाब में भी सरकार ने पूरी ताकत से इस आंदोलन को दबाने और कुचलने में कोई कसर नहीं थी छोड़ी। पंजाबी के जानेमाने लेखक जनाब जसवन्त सिंह कंवल का उपन्यास "लहू दी लो" महज़ एक कहानी या कल्पना नहीं थी। उपन्यास एक दस्तावेज़ी की तरह ही था। यह उपन्यास आज भी बड़े चाव से पढ़ा जाता है। आंदोलन ख़त्म होने के बाद भी इस साहित्य की चर्चा होती है। 

नक्सली आंदोलन ख़त्म होने की हकीकत के बावजूद अंदर ही अंदर चिंगारी सुलगती रही। सरकार के दमन के बाद भी इस आंदोलन में पुनर्जन्म की चर्चा और प्रयास कुकनूस की तरह जारी रहे। दमन के दावों के बाद वास्तव में आंदोलन को कई स्थानों और रूपों में विलीन होने का भी अवसर मिला। इसका अदृश्य रूप काफी समय तक लोगों को महसूस होता रहा। जो लोग सरकारी नौकरियों या अन्य मजबूरियों के कारण इस आंदोलन में खुलकर सामने नहीं आ सके, उनका मलाल भी उनकी रचनाओं में सामने आता रहा। आकाशवाणी जालंधर के वरिष्ठ अधिकारी एस एस मीशा ने लिखा:

लहरां सदिया सी सानूं वि इशारियां दे नाल! साथों मोह तोड़ होइया न किनारियां दे नाल!

धीरे धीरे कई लोगों का वो मोह-प्यार भी टूटा और उनमें नई हिम्मत भी आई। लोगों को यह एहसास भी होने लगा था कि संघर्ष के बिना कोई विकल्प नहीं बचा है। इस तरह की भावनाओं ने कई लोगों को नक्सलबाड़ी आंदोलन के नये रंग की ओर भी आकर्षित किया। विवादों और विरोधों के बावजूद सीपीआईएमएल लिबरेशन ने एक नया इतिहास रचा। जो नक्सली कार्यकर्ता अपने घरों में निराशा में बैठे हुए थे, उन्हें प्रोत्साहित किया गया और उन्हें उनके घरों से निकालकर फिर से युद्ध के मैदान में लाया गया। इस पार्टी ने देश के अन्य राज्यों की तरह पंजाब में भी कई सफल सम्मेलन किये। इन सम्मेलनों में पंजाब के मुद्दे भी ज़ोरदार तरीके से उठाए गए। 

सीपीआईएमएल लिबरेशन का राजनीतिक सम्मेलन आज फैज पुरा रोड लिबरेशन कार्यालय में आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता दलबीर भोला मलकवाल, रमनदीप पिंडी और बचन सिंह मचानिया ने संयुक्त रूप से की। इस समय बोलते हुए लिबरेशन के जिला सचिव गुलजार सिंह भुम्बली, सुखदेव सिंह भागोकावां और लिबरेशन के राज्य सचिव कामरेड गुरमीत सिंह बखतपुरा ने कहा कि पंजाब में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो रही है, लूटपाट, जबरन वसूली, ड्रग्स, रेत माफिया और भूमि माफिया का बोलबाला है सामान्य वाक्पटुता. शिक्षण संस्थानों और स्वास्थ्य संस्थानों में शिक्षकों और डॉक्टरों की सीटें नहीं भर पा रही हैं.

लिबरेशन के वरिष्ठ नेता बखतपुरा ने कहा कि पंजाब में राजनीतिक शून्यता है, जिसे भरने के लिए लिबरेशन ने 16 सूत्रीय कार्यक्रम निर्धारित किया है, जिसमें रोजगार दिलाने और रोजगार को बुनियादी अधिकारों में शामिल करने का प्रयास किया जाएगा। मनरेगा में रोजगार 200 दिन और दैनिक मजदूरी 700 रुपये करना, किसानों के जीन्स के न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी बनाना, व्यापार के लिए वाघा बॉर्डर को खोलना, करतारपुर साहिब जाने के लिए पासपोर्ट की शर्त को हटाना, भ्रष्टाचार को खत्म करना, 12 घंटे की दैनिक मजदूरी लाना जैसे सवाल हैं कानून को वापस लेने, पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ और पंजाब के पंजाबी भाषी क्षेत्रों सहित पंजाब के राजनीतिक मुद्दों को नदी तटीय सिद्धांतों पर हल करने का मुद्दा पुरजोर तरीके से उठाया जाएगा।

इस प्रकार निकट भविष्य में आने वाला समय तीव्र संघर्षों की दस्तक दे रहा है। वाम दलों द्वारा उठाए गए मुद्दों के साथ-साथ पंजाब और पंथक दलों के मुद्दे भी शामिल होंगे जिन्हें कई सिख संगठन और पंथक पार्टियों ने भी काफी हद तक भुला दिया है। चंडीगढ़ और पंजाबी भाषी इलाकों को पंजाब में जोड़ने का नारा फिर से उठता दिख रहा है। 

इस समय दीपो बदोवाल खुर्द, काजल बदोवाल खुर्द, बचन सिंह तेजा, बूटा तलवंडी नाहर और हरप्रीत बदोवाल खुर्द, बंटी रोरा पिंडी और पिंटा तलवंडी भारथ शामिल थे।

Saturday, August 12, 2023

बरनाला (पंजाब) में लाल झंडे लिए सड़क पर उतरे हजारों मजदूर

महिला शक्ति ने भी दिखाया पूरा जोशो खरोश 


बरनाला
: 12 अगस्त 2023: (नक्सलबाड़ी स्क्रीन डेस्क)::

बहुत तरह के कानूनों की सख्ती और बहुत से अलग अलग नामों की फोर्सें होने के बावजूद पंजाब के उन लोगों को डराया धमकाया नहीं जा सका जो घरों से निकल पड़े हैं। उनका संकल्प ज़रा भी कमज़ोर नहीं हुआ। वे उसी पुरानी शक्ति और जोश को साबित करते हुए फिर से सड़कों पर निकल पड़ते हैं। उनके नारों की बुलंद आवाज़ दूर तक पहुँचती है और उनके नारे लगाते हुए हाथ पूरे जोश के साथ खड़े होते हैं। बरनाला, मनसा, बठिंडा अब भी जान सहक्ति के ग्रह हैं यह कई कई बार साबित हो चुका है। 

सत्ता के मद में चूर हुई मोदी सरकार को जगाने के लिए जनता एक बार फिर से दृढ़ है। केंद्र की मोदी सरकार को महिला, दलित, अल्पसंख्यक विरोधी बताते हुए और पंजाब की मान सरकार का बाढ़ पीड़ितों के पुनर्वास, नशा रोकने, महिलाओं व मजदूरों से किए वायदे में विफल रहने के खिलाफ विगत 11 अगस्त 2023 को हजारों मजदूरों व महिलाओं ने बरनाला की सड़कों पर विरोध मार्च किया. भाकपा (माले) और मजदूर मुक्ति मोर्चा, पंजाब के संयुक्त आह्वान पर बरनाला जिला मुख्यालय पहुंचे हजारों कामकाजी पुरुषों और महिलाओं ने जुझारू मार्च किया और डिप्टी कमिश्नर कार्यालय पर रैली की. बाद में मुख्यमंत्री के नाम एक मांग पत्र दिया गया. इस विरोध मार्च से पूर्व पिछले 20 दिनों से बरनाला जिले के लगभग 100 गांवों में मजदूरों-महिलाओं की बैठकें/नुक्कड़ सभाएं आयोजित की गईं।  दिलचस्प बात है कि इन सभाओं में इस बार भी पूरा जोश देखा गया। 

भाकपा माले का बढ़ता हुआ कद एक बार फिर से देखा जा सकता है। इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए भाकपा (माले) के राज्य नेता और मजदूर मुक्ति मोर्चा, पंजाब के महासचिव गुरप्रीत सिंह रूडके ने कहा कि केंद्र और राज्यों में मौजूद भाजपा सरकारें महिलाओं की इज्जत व सम्मान पर हो रहे हमलों को रोकने में बुरी साबित हुई हैं। मणिपुर और हरियाणा में अल्पसंख्यकों व महिलाओं के हितों की रक्षा करने में वे न केवल विफल रहे हैं, बल्कि हमलावरों व यौन उत्पीड़नकारियों के साथ निर्लज्जता के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। 

 ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ व ‘सबका साथ और सबका विकास’ का नारा देकर सत्ता में आई मोदी सरकार के संरक्षण में आज महिलाओं व अल्पसंख्यकों को भगवा गुंडा ब्रिगेड द्वारा निशाना बनाया जा रहा है. मोदी राज में आज पूरे देश में दलितों और हाशिए पर रहने वाले लोगों पर अत्याचार हो रहा है. भाजपा हमेशा उत्पीड़कों के पक्ष में खड़ी रही है। 

मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष कामरेड विजय भीखी ने कहा कि मान सरकार पंजाब के बाढ़ पीड़ितों के लिए नाम मात्र का मुआवजा देकर उनकी पीड़ा का मजाक उड़ा रही है. मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनकी सरकार बाढ़ से तबाह भूमिहीन मजदूरों के घरों का पुनर्निर्माण करने में बुरी तरह विफल रही है. पंजाब के मजदूर व किसान अभी भी बाढ़ के विनाश का दर्द झेल रहे हैं। 

अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन की नेता इकबाल कौर उदासी ने कहा कि मान सरकार ने पंजाब की महिलाओं को एक हजार रुपये प्रतिमाह देने का वादा 16 महीने बाद भी लागू नहीं किया गया है. मजदूर मुक्ति मोर्चा पंजाब की बरनाला जिला अध्यक्ष कामरेड सिंदर कौर हरिगढ़ ने कहा कि मनरेगा कानून अभी भी पिछली सरकारों की तरह सत्तारूढ़ दल और नौकरशाही की दया पर चल रहा है. मजदूरों को अब भी कम से कम समय पर भुगतान नहीं हो रहा है. 100 दिन के रोजगार और की गई मजदूरी का भुगतान मजदूरों के लिए अब भी दूर की कौड़ी बना हुआ है। 

इस मौके पर मनरेगा मजदूरों के लिए 200 दिन का काम, प्रतिदिन 700 रुपये मजदूरी और प्रति दिन छह घंटे काम का कानून बनाए जाने की मांग की गई. 5 लाख रुपये मकान निर्माण, मरम्मत के लिए 3 लाख रुपये और बेरोजगार श्रमिकों को 20,000 रुपये सहायता देने की मांग की गई. नशे के काले कारोबार और उनके साथ मिले नेताओं और पुलिस पर कठोर कानूनी कार्यवाही की मांग जोरदार ढंग से उठायी गई. नशा कारोबारियों से मिले नेताओं-अधिकारियों की संपत्तियों को जब्त करने की मांग भी उठाई गई। 

इस अवसर पर नशा विरोधी आंदोलन के कार्यकर्ता परविंदर झोटे की बिना शर्त रिहाई का भी प्रस्ताव पारित किया गया और जनता के अधिकारों के संघर्ष को तेज और व्यापक बनाने का आह्वान किया गया.

सभा को पंजाब जम्हूरी मोर्चा के प्रदेश संयोजक साथी जगराज सिंह टल्लेवाल, मजदूर मुक्ति मोर्चा पंजाब के जिला सचिव कामरेड स्वर्ण सिंह जंगियाना, हरचरण सिंह रूड़ेके, करनैल सिंह लखरीवाला, जग्गा सिंह संघेरा, युवा नेता हरमनदीप सिंह हिम्मतपुरा, राजिंदर कौर भट्टल, ज्ञान सिंह सोहियां, हैप्पी सिंह ब्राउन, सुखदेव सिंह महजूके, बूटा सिंह ढोला आदि ने संबोधित किया। 

Saturday, February 18, 2023

2024 में लोकतंत्र की निर्णायक जीत का मार्ग प्रशस्त हो रहा है

 Friday 17th February 2023 at 08:37 PM

कामरेड दीपंकर द्वारा भाकपा (माले) की 11वीं कांग्रेस के उद्घाटन सत्र में संबोधन


भाकपा (माले) की 10वीं कांग्रेस मार्च 2018 में पंजाब के मानसा में हुई थी। इस सम्मेलन ने और इसके बाद भी पंजाब में हुए आयोजनों ने पंजाब और आसपास के क्षेत्रों में भाकपा (माले) लिबरेशन के आधार को और मज़बूत करने में सक्रिय भूमिका निभाई थी। पंजाब के जो लोग अपने अपने दलों से निराश हुए बैठे थे उनको भाकपा (माले) लिबरेशन ने काफी हद तक आकर्षित किया। बा पार्टी का 11वां  महासम्मेलन श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की जन्मभूमि पटना पर जारी है। यहां प्रस्तुत है  महासचिव कामरेड दीपांकर भट्टाचार्य के सम्बोधन का मूल भाषण। 

पटना (बिहार): 17 फरवरी 2023: (नक्सलबाड़ी स्क्रीन डेस्क)::

कॉमरेड अध्यक्ष, प्रतिनिधि और पर्यवेक्षक साथियो, भारत के विभिन्न वामपंथी दलों के नेतागण, विदेश से आए बिरादराना संगठनों के नेता, मीडिया के मित्र और यहां एकत्रित पटना के प्रबुद्ध नागरिक बन्‍धुओ!

भाकपा (माले) की 11वीं कांग्रेस में आप सभी का स्वागत करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से इस कांग्रेस में भाग लेने वाले सत्रह सौ से अधिक प्रतिनिधियों और पर्यवेक्षकों के साथ, यह हमारी पार्टी के इतिहास की सबसे बड़ा महाधिवेशन है। हमने अपने दो महान नेताओं को श्रद्धांजलि देने के लिए पटना को विनोद मिश्र नगर और इस सभागार को रामनरेश राम हॉल का नाम दिया है। मंच कामरेड डीपी बख्शी, बीबी पांडे और एनके नटराजन की स्मृति को समर्पित है। ये तीनों हमारी केन्‍द्रीय कमेटी के सदस्‍य थे जिन्‍हें हमने मार्च 2018 में मानसा, पंजाब में आयोजित हमारी 10वीं पार्टी कांग्रेस के बाद से खो दिया।

बिहार के न्यायप्रिय प्रगतिशील लोगों द्वारा इस कांग्रेस के आयोजन को दिए गए हार्दिक समर्थन से हम बहुत प्रोत्साहित महसूस कर रहे हैं। यह गांधी मैदान में कल की ‘लोकतंत्र बचाओ, भारत बचाओ’ रैली की सफलता में भी दिखाई पड़ा। हम बिहार के लोगों के प्रेरणादायी प्रोत्‍साहन के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।

साथी वाम दलों के नेताओं की उपस्थिति से हम बहुत सम्मानित महसूस कर रहे हैं-सीपीआई (एम) से कॉमरेड सलीम, सीपीआई से कॉमरेड पल्लब सेनगुप्ता, आरएसपी से कॉमरेड मनोज भट्टाचार्य, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक से कॉमरेड जी देवराजन, मार्क्सवादी समन्वय समिति से कॉमरेड हलधर महतो , लाल निशान पार्टी, महाराष्ट्र से कॉमरेड भीमराव बंसोडे, आरएमपीआई से कॉमरेड मंगतराम पासला और सत्यशोधक कम्युनिस्ट पार्टी, महाराष्ट्र से कॉमरेड किशोर धामले – महाधिवेशन  के इस उद्घाटन सत्र में उपस्थित हैं। आपकी उपस्थिति हमारे लिए बहुत मायने रखती है और यह निश्चित रूप से एकता की हमारी मौजूदा भावना और परस्‍पर सहयोगआधारित संबंधों को और मजबूत करने में मदद करेगी।

हम अपने पड़ोसी देशों जैसे नेपाल और बांग्लादेश और साथ ही ऑस्ट्रेलिया और वेनेजुएला जैसे देशों से प्रगतिशील दलों और संगठनों द्वारा व्यक्त की गई अंतर्राष्ट्रीयवादी एकजुटता से उत्‍साहित महसूस कर रहे हैं। श्रीलंका, पाकिस्तान और जर्मनी के कामरेड वीजा की समस्या के कारण नहीं आ सके, लेकिन एकजुटता के संदेश दुनिया के कोने-कोने से आए हैं और अभी भी पहुंच रहे हैं। महाधिवेशन को बधाई देने के लिए पटना पहुंच सकने वाले बिरादराना पार्टियों के मेहमानों और एकजुटता का संदेश भेजने वाले बिरादराना संगठनों के हम बहुत आभारी हैं। दुनिया भर में मेहनतकश लोगों पर थोपी गई तरह-तरह की कटौतियों, फासीवाद और निरंकुशतावाद के नए सिरे से उदय, युद्ध, कब्जे और छोटे व कमजोर देशों की संप्रभुता पर हमले और हमारे ग्रह के अस्तित्व को खतरे में डालने वाले जलवायु संकट समेत आज के सड़ते हुए पूंजीवाद द्वारा पैदा किये गये तमाम संकटों से दुनिया को मुक्त करने की लड़ाई को तेज करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता और सहयोग के अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। 

कामरेड, जब हम पटना में इस उद्घाटन सत्र का आयोजन कर रहे हैं, लोग त्रिपुरा में राज्य में अगली विधानसभा और सरकार चुनने के लिए मतदान कर रहे हैं। पिछले पांच वर्षों से त्रिपुरा में लगातार लोकतंत्र पर हमले हुए हैं। विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं, समर्थकों और उनके कार्यालयों पर हमले हुए। जन अधिकारों की मांग करने वाले और विरोध की आवाज को बुलंद करने वाले वालों पर लगातार दमन हुआ है। हमें उम्मीद है कि त्रिपुरा के लोग बिना किसी डर के अपना वोट डालने में सक्षम होंगे और भाजपा द्वारा फैलाए गए इस आतंक के शासन को समाप्त करेंगे।

जैसे-जैसे फाशीवादी मोदी सरकार की सभी मोर्चों पर घोर विफलता और विश्वासघात तेजी से उजागर हो रहा है वैसे-वैसे वह अधिक से अधिक झूठ बोलने और डराने-धमकाने का सहारा ले रही है। सरकार ने पहले बीबीसी द्वारा बनायी गई डॉक्‍यूमेंटरी को भारत के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रसारित होने से रोकने के लिए अपनी आपातकालीन शक्तियों का इस्‍तेमाल किया फिर दिल्ली और मुंबई में बीबीसी कार्यालयों पर आयकर विभाग ने छापे मारे। हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने अडानी समूह पर शेयर बाजार में हेरफेर, अकाउन्‍ट में धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया जिससे अदानी के शेयरों की कीमतों में अभूतपूर्व गिरावट आई। इससे अडानी की कुल संपत्ति में भारी गिरावट आई और वह दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में तीसरे स्‍थान से खिसककर बीसवें स्‍थान से भी नीचे पहुंच गया। मोदी सरकार की चुप्पी, जांच कराने से इंकार और भारत की नियामक प्रणाली की विफलता और मोदी और अडानी की सांठगांठ का ही नतीजा है। संसद में मोदी ने अडानी के सवाल पर जवाब देने से परहेज किया और लोगों इस नाम पर चुप रहने को कहा जा रहा है कि सरकार कथित तौर पर गरीबों को सस्ता भोजन, सब्सिडी वाला गैस सिलेंडर, पक्का घर जैसी खैरात दे रही है। यह बीबीसी की डॉक्‍यूमेंटरी को एक औपनिवेशिक साजिश के रूप में पेश किया गया और अडानी के बारे में हुए खुलासे को भारत पर हमले के रूप में पेश किया गया। भाजपा यह सब राष्‍ट्रवाद के नाम पर कर रही है जबकि असलियत में वह राष्‍ट्रवाद का मखौल बना रही है। 

ऑक्सफैम की नयी रिपोर्ट ने एक बार फिर से भारत में बढ़ती आर्थिक असमानता की ओर ध्यान आकर्षित किया है। इस असमानता को कम करने के लिए अरबपतियों पर संपत्ति और विरासत करों की शुरुआत की जानी चाहिए। लेकिन सरकार ने बिल्‍कुल उल्‍टा कदम उठाते हुए इस साल के बजट में मनरेगा, सामाजिक सुरक्षा और अन्य सार्वजनिक सेवा व कल्याणकारी खर्च के लिए बजटीय प्रावधान को कम कर दिया और अरबपतियों के लिए कर में और भी कटौती की घोषणा कर दी। 

जहां आम लोगों की बिगड़ती जीवन स्थितियों और आर्थिक मोर्चे पर सरकार की भारी विफलता के खिलाफ जनता का गुस्सा बढ़ रहा है। लेकिन मोदी सरकार लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है और सामाजिक और आर्थिक संकट का इस्तेमाल अंधराष्ट्रवादी फासीवादी उन्माद फैलाने के लिए करना चाहती है। मुसलमानों को एक समुदाय के रूप में निशाना बनाने, प्रगतिशील बुद्धिजीवियों और सभी असहमति की आवाजों और न्याय व परिवर्तन के लिए लड़ने वाले सामाजिक समूहों को राष्ट्र-विरोधी बताकर घृणा व सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को तेज करने की कोशिश कर रही है। सब के लिए घर, बिजली, शौचालय और पानी मुहैया कराने के झूठे वादों की जगह अब बुल्‍डोजर से लोगों के घरों को ढहाया जा रहा है। नफरती और छद्म आध्‍यात्मिक गुरुओं द्वारा तथाकथित धार्मिक सभाओं के मंचों से खुले तौर पर जनसंहार के आह्वान किए जा रहे हैं।

संवैधानिक शासन के सभी संस्थानों को नष्‍ट किया जा रहा है। कार्यपालिका खुले तौर पर विधायिका और न्यायपालिका के मामलों में हस्‍तक्षेप कर रही है। राज्यपालों के कार्यालयों, केन्‍द्र द्वारा नियुक्‍त संस्‍थाओं के प्रमुखों और केन्‍द्रीय जांच एजेंसियों को नियंत्रण के उपकरणों में बदल देने के जरिये केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को महिमामंडित नगरपालिकाओं में बदल देने की कोशिश की है। नागरिकता कानूनों, आरक्षण नीतियों में बदलाव और लोगों के विभिन्न वर्गों, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों, श्रमिक वर्ग, किसानों, छोटे व्यापारियों, दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और युवाओं के मौजूदा अधिकारों के क्षरण के साथ संविधान को ही खोखला और भीतर से कमजोर किया जा रहा है। जैसा कि केंद्रीय गृह मंत्री ने घोषणा की है लोकतंत्र और विविधता पर यह हमला 2023 में भारत के जी20 की अध्यक्षता ग्रहण करने से लेकर 1 जनवरी, 2024 को निर्धारित राम मंदिर के उद्घाटन के जश्न तक ढोल-नगाड़ों के साथ जारी रहेगा। 

इस बढ़ते फाशीवादी उन्माद और आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए, हमें भारत भर में जुझारू लोगों की एकजुटता को मजबूत करने की जरूरत है। कोविड-19 महामारी से पहले नागरिकता आंदोलन और कोविड काल की कठोर परिस्थितियों को धता बताते हुए और मोदी सरकार को विनाशकारी कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए मजबूर करने वाले किसान आंदोलन में जिस तरह की एकता और उत्‍साह को हमने देखा था उसे आगे बढ़ाने की जरूरत है। बेदखली, निजीकरण और सांप्रदायिक, जातिगत और पितृसत्तात्मक हिंसा के खिलाफ कई शक्तिशाली संघर्षों का निर्माण, और भोजन, आवास, शिक्षा और रोजगार, सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के सार्वभौमिक अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए नये ऊर्जावान आंदोलन खड़े करने की जरूरत है। फासीवाद को हराने, संविधान को बचाने और भारत के लोगों के लिए एक प्रगतिशील और समृद्ध भविष्य बनाने की लोकप्रिय राजनीतिक इच्छाशक्ति की नींव पर ही जनता की देशव्यापी एकजुटता विकसित और सफल हो सकती है।  

हम सभी वामपंथियों को इस लोकप्रिय एकजुटता को कायम करने और एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक संघीय भारत के एजेंडे को आगे बढ़ाने में केंद्रीय भूमिका निभानी होगी। 2023 के हमारे प्रयास 2024 में लोकतंत्र की निर्णायक जीत का मार्ग प्रशस्त करेंगे। हमें फाशीवाद को हराने और लोकतंत्र की लड़ाई जीतने के लिए सभी वामपंथी ताकतों और व्यापक विपक्ष के बीच घनिष्ठ एकता और सहयोग की आवश्यकता है और हमें विश्वास है कि हम इस दिशा में आगे बढ़ सकेंगे।

हमारी 11वीं कांग्रेस फासीवाद के खिलाफ संघर्ष लिए पूरी तरह से समर्पित है। राजनीतिक प्रस्‍ताव और संगठनात्मक रिपोर्ट पर विचार-विमर्श के अलावा, हमारी 11वीं कांग्रेस के एजेंडे में दो अन्य विशिष्ट  प्रस्‍ताव भी शामिल हैं- एक, फासीवाद-विरोधी प्रतिरोध की दिशा, परिप्रेक्ष्य और हमारे कार्यभार और दूसरा, पर्यावरण संरक्षण और जलवायु न्याय प्रश्‍न पर। हम तहेदिल से भारतीय वामपंथी आंदोलन में अपने सभी साथियों और वैश्विक प्रगतिशील खेमे को आपके समर्थन और एकजुटता के लिए धन्यवाद देते हैं और उम्‍मीद करते हैं कि आने वाले दिनों में यह एकजुटता और सहयोग और भी घनिष्ठ होगा। फासिस्‍ट भारत की राज्य सत्ता से ही नहीं बल्कि दुनियाभर में दक्षिणपंथी ताकतों के उभार से भी अपनी ताकत हासिल कर रहे हैं। वे भारत की सामाजिक संरचना, सांस्कृतिक रीति-रिवाजों और राजनीतिक इतिहास के सभी प्रतिगामी पहलुओं से अपनी जीवनीशक्ति पा रहे हैं। हमें इस फासीवादी मंसूबे को विफल करने के लिए भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की प्रगतिशील विरासत और साम्राज्यवाद-विरोधी और फासीवाद-विरोध की परंपरा से ताकत हासिल करते हुए अंतरराष्ट्रीय एकजुटता के लिए बड़े संघर्षों के निर्माण की जरूरत है। हमें विश्वास है कि आपके सहयोग से 11वां महाधिवेशन इस यात्रा को आगे बढ़ायेगा। 

दुनिया की प्रगतिशील ताकतों को मजबूत करो! आइए हम संघर्ष के लिए एकजुट हों और अपनी जीत होने तक लड़ें। इंकलाब जिंदाबाद! क्रांति अमर रहे!

Monday, January 23, 2023

दीपांकर भट्टाचार्य ने की मोदी सरकार की तीखी आलोचना

सोमवार 23 जनवरी 2023 को 09:06 PM पर

देश की संवैधानिक संस्थाओं को खोखला करने का आरोप 


चंडीगढ़: 23 जनवरी 2023: (नक्सलबाड़ी स्क्रीन ब्यूरो)::

भाकपा (माले) लिबरेशन की ओर से यहां दैनिक देश सेवक के परिसर में बने हुए बाबा सोहन सिंह भकना भवन में 'फाशीवाद: विश्व का अनुभव और इसकी भारतीय विशेषताएं' विषय पर एक विशेष सेमिनार का आयोजन किया गया। संगोष्ठी को मुख्य वक्ता के रूप में भाकपा (माले) लिबरेशन के महासचिव कामरेड दीपांकर भट्टाचार्य ने संबोधित किया। सेमिनार की अध्यक्षता कामरेड परषोत्तम शर्मा, सुखदर्शन सिंह नत्त, रुलदू सिंह मनसा, भगवंत सिंह समाओ और सेंट्रल ट्रेड यूनियन एक्टू के नेता सतीश कुमार ने की। कार्यक्रम का संचालन पार्टी की चंडीगढ़ इकाई के सचिव कामरेड कंवलजीत ने किया। 

कामरेड दीपांकर भट्टाचार्य ने अपने भाषण में कहा कि जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है, संविधान, लोकतंत्र, राज्य के धर्मनिरपेक्ष चरित्र और संघीय ढांचे को लगातार कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 2024 का संसदीय चुनाव देश और देशवासियों के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए भाजपा को हराना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग पार्टियां विपक्ष की भूमिका में हैं, सभी को अपने-अपने राज्यों में बीजेपी के खिलाफ मजबूती से लड़ना चाहिए। विपक्षी दलों की एकजुटता के लिए हर राज्य में एक अलग फॉर्मूला हो सकता है। उन्होंने कहा कि देश स्तर पर भाजपा के खिलाफ व्यापक एकता बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। तमिलनाडु, पंजाब, केरल और बंगाल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में राज्यपाल खुले तौर पर केंद्र सरकार के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं। राज्यपालों के ये कृत्य संघीय ढांचे की अवधारणा और राज्यों के अधिकारों का घोर उल्लंघन हैं, इसलिए देश की एकता को भंग करने वाले ऐसे असंवैधानिक कृत्यों को तुरंत रोका जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार तानाशाह से ज्यादा फाशीवादी शासन की तरह काम कर रही है, जिससे वह सभी संवैधानिक संस्थाओं के अस्तित्व के लिए खतरा बन गई है। आम जनता रोजगार, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए वोट देती है, लेकिन संघ-भाजपा इसके बजाय अपने कॉर्पोरेट-उन्मुख सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं। आज साम्प्रदायिक ज़हर उगलने वाले, हत्यारे, दंगाई और खरबों के सरकारी धन का गबन करने वाले भ्रष्टाचारी खुले घूम रहे हैं, लेकिन दलितों, मजदूरों, युवाओं, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाले और संघर्ष करने वाले सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को झूठ का शिकार बनाया जा रहा है। बहुत से मामलों में जनता की आवाज़ उठाने वालों को झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है और झूठी पुलिस मुठभेड़ों में मौत के घात उतरा जा रहा है। ऐसे जन हितैषी लोगों को उनकी सज़ाएं पूरी होने के बाद भी जेलों से रिहा नहीं किया जा रहा। 

मीडिया से बात करते हुए राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अगर राहुल के दौरे से कांग्रेस में कुछ गति आती है तो यह अच्छी बात होगी। उन्होंने कहा कि कम से कम फाशीवाद का मुकाबला करने के लिए आम सहमति के आधार पर देश में एक व्यापक मोर्चा विकसित करने की मुख्य जिम्मेदारी वाम दलों की है। उन्होंने कहा कि पटना में 15 से 20 फरवरी तक होने वाले भाकपा माले के 11वें आम सम्मेलन में मोदी सरकार के खिलाफ व्यापक सामाजिक-राजनीतिक गोलबंदी पर गंभीरता से चर्चा की जाएगी।


मानसा से इस संगोष्ठी में शामिल होने के लिए पहुंचे पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्य कामरेड सुखदर्शन नत्त भी अपने परिवार के साथ मौजूद थे। आयोजन के बाद मानसा लौटते हुए चंडीगढ़ के वाईपीएस चौक पर चल रहे राष्ट्रीय इंसाफ मोर्चा में पार्टी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। वह लंबे समय से इस पार्टी के साथ रहे हैं और उन्होंने विश्व कम्युनिस्ट आंदोलनों के साथ-साथ भारत में कम्युनिस्ट दलों से जुड़े आंदोलनों के बहुत से उतार-चढ़ाव के दौर भी देखे हैं। वह पार्टी के बहुत ही प्रतिबद्धता से भरे अनुशासित और वरिष्ठ नेता हैं। मानसा से लेकर अमृतसर तक, पंजाब से लेकर यूपी, बिहार और बंगाल तक वह पार्टी के काम से कभी नहीं थकते। उन्होंने पार्टी को पंजाब में मज़बूती से पैठ बनाने और विभिन्न क्षेत्रों के कई आगे की सोच वाले व्यक्तियों, पत्रकारों और लेखकों को पार्टी के करीब लाने में भी सक्रिय भूमिका निभाई है। बहुत ही सादगी और नैतिकता का जीवन जीने वाले नत्त परिवार में आलोचकों और विरोधियों की सबसे तीखी बातों को सुनकर भी अपना संतुलन न खोने की जादुई क्षमता मौजूद है। शायद सुखदर्शन नत्त उन कुछ दुर्लभ परिवारों में से एक हैं जिन्होंने अपने बच्चों को भी इस फलसफे और विचारधारा से पूरी तरह जोड़े रखा है। उन्होंने अपने बच्चों को भी इस संघर्ष की कठिनाइयां दी हैं और वह भी मुस्कराते हुए, उन्हें इन सभी मुश्किलों की जानकारी देते हुए। बिना कुछ भी छुपाए शुद्ध संघर्ष की एक विरासत देते हुए।  

स्वयं अधिक से अधिक अध्ययन करना और दूसरों को भी इसके रूबरू कराना सुखदर्शन नत्त के स्वभाव में शामिल है। युवावस्था वाली मौज-मस्ती के दौर में भी वह इस विचारधारा से गंभीरता से जुड़े रहे। वह अभी भी लोगों के कल्याण के बारे में सोचते हैं। सभी मतभेदों से ऊपर उठकर इस आंदोलन को मजबूत करना भी उनकी प्राथमिक चिंताओं में से एक है। उनकी पत्नी जसबीर कौर नत्त भी उनका पूरा समर्थन करती हैं और पार्टी में भी पूरी तरह सक्रिय हैं।

सेमिनार के इस अवसर पर सर्वाधिक आलोचनात्मक और विवादास्पद मामलों पर अपनी टिप्पणी देने वाले प्रख्यात विचारक डॉ. प्यारे लाल गर्ग भी उपस्थित थे। स्वयं पार्टी के पदाधिकारी व अन्य प्रबंधक अभी तक बाबा सोहन सिंह भकना हॉल के बाहर भी नहीं पहुंचे थे, लेकिन डॉ. प्यारे लाल गर्ग पूरे अनुशासन के साथ निश्चित समय पर पहुंचे थे हुए थे। भकना भवन के बाहरी प्रांगण में डॉ. गर्ग बहुत ही विनम्रता और सादगी से प्रांगण के फुटपाथ जैसी सीढ़ी पर बैठे नज़र ऐ। उन्हें देख कर आशंका हुई की इतना बड़ा व्यक्ति इस तरह ज़मीन पर कैसे बैठ सकता है। आशंका दूर करने के लिए उन्हें फोन लगाया तो वह डॉ. प्यारे लाल गर्ग ही निकले। 

कार्यक्रम शुरू होने से पहले, उनके शब्दों ने जीवन के गहरे रहस्यों के बारे में बहुत कुछ सिखाया और समझाया। घर-परिवार से लेकर समाज तक उनकी पारदर्शी सोच और बेबाकी देखकर दिल चाहने लगता है कि ज़िन्दगी में बस उनके जैसा बना जाए। उन्होंने बातों बातों में बताया कि पीजीआई में उनक रूटीन कैसा रहता था। इसके साथ ही घर परिवार के मामले में वह कितना सीधे और स्पष्ट थे।उन्होंने अपने बच्चों को कैसे जीवन की असली शिक्षा दी इस सब üपर कभी अलग से पोस्ट लिखनी है। सही बात यही है कि ऐसी बातें किताबों में नहीं मिलतीं। इस तरह की अनमोल बातों का पता डॉ. गर्ग जैसे दरवेशों के साथ बैठने से ही लगता है। 

इस बीच जब सेमिनार शुरू हुआ तो डॉ. प्यारे लाल गर्ग ने प्रत्येक वक्ता को बड़े ध्यान से सुना। यहां तक कि आदि से अंत तक सबसे पीछे बैठे हुए उन्होंने हर वक्ता के दिल की आवाज भी सुनी थी जो उनकी जुबां तक नहीं आई थी।शैड उन्हें सभी के दिल का एक्सरे अपनी एक निगाह से ही करना अत है। जब मंच के लोगों ने उनसे अनुरोध किया तो उन्होंने मंच पर पहुंचकरभी अपने विचार रखे। उन्होंने संगोष्ठी के मंच से भी बड़ी विनम्रता से अपने विचार रखे। इस छोटे से भाषण की शुरुआत भी बेहद सादगी भरी थी और अंत में माइक को वापिस रखने  की रस्म भी। एक बार फिर बाहर का दृश्य यद्बा आ गया जब थोड़ी ही देर पहले पार्क में चबूतरे पर बैठे रुल्दा सिंह मनसा की तेज़ आवाज फिर से कानों में गूंजने लगी जो उन्होंने डॉ. गर्ग को देखकर कही थी- कि आपको टेलीविज़न पर तो हम रोज़ ही देखते हैं लेकिन आज आमने सामने भी खुले दर्शन कर लिए। डॉ.गर्ग का अद्वितीय व्यक्तित्व अनजान और नए लोगों को भी पलों क्षणों में ही अपना बना लेता है। 

अब चर्चा वहां पहुंचे कुछ और खास मेहमानों की भी। पत्रकार आमतौर पर केवल अपने निर्धारित समय पर कार्यालय पहुंचने, समाचार बनाने, संपादन करने, लेख लिखने और नियुक्तियों की पुष्टि करने, घर लौटने तक ही सीमित रहते हैं, उनके पास किसी अन्य काम के लिए समय बचता भी नहीं है, न ही संपादकीय डेस्क से उठने के बाद ऊर्जा बाकी।  तन मन सब  खाली जैसा हो जाता है। बस थकावट  जो कहती है जल्दी से जा कर सो जाओ। ऐसा लगता है कि अंदर की सभी शक्तियों का किसी ने हरण लिया है।  समाज के चौथे स्तंभ मीडिया में काम करने वाले अधिकांश लोग समाचार पत्रों के कर्तव्यों को पूरा करते करते बहुत जल्द इस दुनिया से चले जाते हैं। जब तक ज़िंदगी रहती है तब तक वे आम जनता से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने में व्यस्त रहते हैं। ऐसे लोग अपने संस्थान से रिटायर हो कर भी कभी रिटायर नहीं होते। अनुभवी पत्रकार हमीर सिंह भी इसी तरह की सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं । वह अक्सर नाज़ुक मुद्दों पर अपनी  बेबाक टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं । इस अवसर पर हमीर सिंह के साथी सहयोगी और करीबी मित्र भी कभी-कभी उनकी आलोचना करते हैं लेकिन इसने हमीर सिंह की बात, अंदाज़ या विचार ओके कभी प्रभावित नहीं किया। वह अपना  बदलते और  नहीं। उन्हें देख कर याद आ रहा था एक दोहा:

कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर! ना काहू से दोस्‍ती, न काहू से बैर!

तो ऐसी ही शख्सियत वाले पत्रकार हमीर सिंह भी इस संगोष्ठी में पहुंचे हुए थे। वह भी डॉ. गर्ग के साथ सबसे पीछे वाली पंक्ति की कुर्सियों पर बैठे थे। उनके साथ जानेमाने स्तंभकार//कालम नवीस और टीवी पत्रकारिता जगत के मौजूदा सितारे एसपी सिंह भी थे लेकिन आयोजकों के आग्रह करने पर भी एस पी सिंह मंच पर नहीं आए, हालांकि, उनकी उपस्थिति इस संगोष्ठी के कवरेज को महत्व दे रही थी।

अंत में उस शख्स का जिक्र किये बिना कहानी अधूरी ही रहेगी जो इस सारे संगठन की जिम्मेदारी बड़े ही हर्षोल्लास से निभाते हुए सबसे मुस्कुरा कर मिल रहा था। भाकपा माले लिबरेशन की केंद्रीय कमेटी के सदस्य व चंडीगढ़ इकाई के प्रभारी कंवलजीत सिंह ने इस पूरे कार्यक्रम को बेहद सहज ढंग से सफल बनाया। न थकान, न कोई खीझ. न ही माथे पर बल जैसी कोई बात।  
कंवलजीत सिंह के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर ही इस आयोजन को सफल बनाने के लिए पंजाब यूनिवर्सिटी के कई युवक-युवतियां और युवा लड़के-लड़कियां सक्रियता दिखते हुए सेमिनार में आए हुए थे। कॉमरेड दीपांकर भट्टाचार्य के चंडीगढ़ में आने की खबर दो-तीन दिन पहले ही सामने आई थी। देश सेवक अखबार के परिसर में बाबा सोहन सिंह भकना हॉल में इस मकसद का विशेष आयोजन था। यूनिवर्सिटी में सक्रिय कंवलजीत सिंह के युबवा साथियों की टीम ने ही इसे सोशल मीडिया के ज़रिए जन जन तक पहुंचा दिया था। अपने मेहबूब नेता दीपांकर को देखने के लिए लोग दूर दराज से आए हुए थे। 
भाकपा(माले) लिबरेशन के महासचिव कॉमरेड दीपंकर भट्टाचार्य चंडीगढ़ और पंजाब हरियाणा के इन नौजवानों और छात्रों में कितने ज़्यादा लोकप्रिय हैं, ये इन नौजवानों को देखकर ही पता चल जाता है. ये सभी अपने प्रिय नेता की एक झलक पाने और उनके विचार सुनने पहुंचे थे। आकर्षक और जादू  भरे व्यक्तित्व के मालिक कंवलजीत जल्द ही पार्टी का जनाधार मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएंगे।

कम्युनिस्ट पार्टियों की विभाजित शक्ति और नक्सलबाड़ी आन्दोलन से जुड़े लोगों की गुटबाजी इस आन्दोलन की मजबूती में बड़ी बाधाएँ हैं। ऐसी बाधाओं को दूर कर इस आंदोलन को मजबूत करने के लिए सभी ईमानदार व्यक्ति और संगठन भी सक्रिय हैं।


इस गोष्ठी में भी वामपंथी दलों की एकता और मजबूती पर काफी जोर दिया गया था। अब देखना होगा कि अगले महीने पटना साहिब (बिहार) में होने वाली पार्टी की ग्यारहवीं कांग्रेस में पार्टी नेतृत्व क्या क्या नए फैसले लेता है? यह बैठक 15 से 20 फरवरी तक पटना साहिब के गांधी मैदान में होनी है. उल्लेखनीय है कि पार्टी का दसवां कांग्रेस मनसा में आयोजित किया गया था।

समाजिक चेतना और जन सरोकारों से जुड़े हुए ब्लॉग मीडिया को जारी रखने में निरंतर सहयोगी बनते रहिए। नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके आप सहजता से ही ऐसा कर सकते हैं।