Wednesday, January 9, 2013

वाम उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सर्व शिक्षा अभियान

08-जनवरी-2013 19:40 IST
नक्‍सल ग्रस्‍त इलाकों में बच्‍चों को शिक्षित करना
   विशेष लेख                                                                 * सरिता बरारा
Photo Courtesy: Janokti
हाल ही में सम्‍पन्‍न संसद के शीतकालीन सत्र में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री  ने बताया था कि देश के वाम उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सर्व शिक्षा अभियान शुरू करने के बाद से छात्रों के स्‍कूल छोड़ने की गति में काफी कमी आई है जो एक अच्‍छा संकेत है। वाम उग्रवाद प्रभावी क्षेत्रों में बच्‍चों को स्‍कूल से जोड़ने के लिए केंद्र और संब‍ंधित राज्‍य सरकारों ने बीते वर्षों में कई कदम उठाए हैं। इससे स्‍कूलों से बच्‍चों को जोड़े रखने में काफी हद तक सफलता मिली है और स्‍कूल छोड़ने वालों बच्‍चों की संख्‍या में काफी कमी आई है।
केंद्र सरकार की पहल और मदद
     स्‍कूलों में बच्‍चों को बनाए रखने में आवासीय स्‍कूलों का खुलना काफी प्रभावी तरीका है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वाम उग्रवाद प्रभावी जिलों में 77 आवासीय स्‍कूल/छात्रावास हैं जिनमें 31650 बच्‍चे पढ़ रहे हैं। प्रभावित जिलों में कक्षा 6 से लेकर 8 तक के लिए 889 कस्‍तूरबा गांधी विद्यालय आवासीय स्‍कूल लड़कियों के लिए खोले गए हैं।
     जनजातीय मामलों के मंत्रालय की एक योजना के प्रावधानों के तहत गृह मंत्रलय द्वारा चिन्हित नक्‍सल प्रभावित जिलों में अनुसूचित जनजाति बालिका आश्रम स्‍कूल और बाल आश्रम स्‍कूलों के निर्माण के लिए केंद्र सरकार से 100 फीसदी आर्थिक मदद मिलती है। इन स्‍कूलों में पढ़ने वाले बच्‍चों को मुफ्त किताबों सहित कई जरूरी चीजें मुहैया कराई जाती हैं।
     उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के आदिवासी जिलों में शिक्षा के प्रारंभिक स्‍तर पर बहुभाषिक शिक्षा मुहैया कराना एक अन्‍य पहल है जिससे बच्‍चों के सीखने की समझ बढ़ती है और स्‍कूलों में उनकी उपस्थिति बरकरार रहती है।
     केंद्र सरकार ने स्‍कूल छोड़ चुके छात्रों या कभी स्‍कूल नहीं गए बच्‍चों के लिए विशेष प्रशिक्षण की भी व्‍यवस्‍था की है। सरकार ने इसके लिए 33280 लाख रूपये स्‍वीकृत किए हैं। वर्ष 2011-12 और वर्ष 12012-13 के लिए वाम उग्रवाद प्रभावित जिलों में 47909 बच्‍चों के स्‍कूल लाने- ले जाने की सुविधा भी उपलब्‍ध कराई है। केंद्र सरकार का वाम उग्रवाद प्रभावित जिलों पर विशेष ध्‍यान है और इनके लिए विशेष योजनाएं बनाई जाती हैं।
महाराष्‍ट्र में केजी से लेकर पीजी तक शिक्षा केंद्र
    महाराष्‍ट्र सरकार नक्‍सली हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों के आदिवासी छात्रों के लिए ''केजी से पीजी'' शिक्षा केंद्र खोलने जा रही है जहां प्रारंभिक स्‍तर से स्‍नातकोत्‍तर स्‍तर तक पढ़ाई होगी। इसका उद्देश्‍य आदिवासी समुदायों को मुख्‍य धारा से जोड़ना है।
छत्‍तीसगढ़ में पोर्टा केबिन स्‍कूल
    छत्‍तीसगढ़ में राज्‍य सरकार ने बस्‍तर क्षेत्र के सभी जिलों में पोर्टा केबिन स्‍कूल शुरू किए हैं। स्‍कूलों के निर्माण में काफी समय लगते देख सरकार ने ऐसे स्‍कूलों की शुरूआत की है जिसका इस्‍तेमाल उन इलाकों में भी किया जा सकेगा जहां नक्‍सलियों ने पहले से मौजूद स्‍कूलों को क्षतिग्रस्‍त कर दिया हो या जहां स्‍कूल हैं ही नहीं। छत्‍तीसगढ़ में पोर्टा केबिन स्‍कूल योजना को यूनिसेफ की मदद से लागू किया जायेगा और ऐसे स्‍कूलों के लिए झारखंड सरकार ने भी कोष मंजूर कर लिया है।
राष्‍ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का बालबंधु कार्यक्रम

दो साल पहले प्रभावित क्षेत्रों में राष्‍ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एन सी पी सी आर) द्वारा शुरू की गयी नवीन बालबंधु योजना का प्रभाव पड़ने लगा है। इस योजना को नक्‍सल प्रभावित 9 जिलों में शुरू किया गया जिनमें छत्‍तीसगढ़ में सुखमा, महाराष्‍ट्र के गढ़चिरौली, आंध्र प्रदेश के खम्‍माम, बिहार के श्‍योहार, जम्‍मुई एवं रोहतास तथा असम के कोकराझार एवं चिरांग शामिल हैं। बालबंधु ऐसे नवयुवक हैं जिन्‍हें समुदाय के भीतर से भर्ती किया गया है। जिनका कार्य ऐसे क्षेत्रों के बच्‍चों की देखरेख करना है कि वें स्‍कूलों में जाये और यदि उन्‍होंने स्‍कूल जाना छोड़ दिया है तो वें स्‍कूल में वापस आयें और जो बच्‍चें खो गये हैं उन्‍हें, उनके परिवारवालों से मिलाएं। यद्यपि बाल बंधुओं को इन्‍हें लागू करने की शक्तियां प्राप्‍त नहीं हैं किंतु वे इस कार्य के लिए पंचायतों तथा समुदायों को शामिल करते हुए अधिकारियों पर अपना दबाव बना सकते हैं। बालबंधु कार्यक्रम की मूल्‍यांकन रिपोर्ट से यह पता चलता है‍ कि इन भर्ती किए गए युवा बालबंधुओं का बच्‍चों के आत्‍म विश्‍वास खासकर स्‍कूल जाने वाले बच्‍चों पर खास प्रभाव पड़ा है।

     बालबंधु कार्यक्रम के बारे में दिए गए अन्‍य सुझावों, सिफारिशों में यह दर्शाया गया है कि इस कार्यक्रम को उसी खंड में कम से कम दो वर्षों के लिए और विस्‍तार किया जाना चाहिए। तथा नजदीकी जिलों के नए खंडों में इस अपनाया जाए। जहां वर्तमान कुशल व्‍यक्ति तथा बालबंधु मूलभूत परिचालन प्रशिक्षण प्रदान करे।

स्‍वयं सहायता समूह तथा बालबंधु समिति दोपहर के खाने की योजना की निगरानी रखे तथा इसकी नियमित रिपोर्ट प्रेषित करें।

विद्यार्थियों को स्‍वयं सहायता समूह बनाने के लिए प्रोत्‍साहित किया जाना चाहिए और जो विद्यार्थी पढ़ने में अच्‍छे हैं वे कमजोर विद्यार्थियों की सहायता करें। एनसीपीसीआर की अध्‍यक्ष डॉ शांता सिन्‍हा के अनुसार शिक्षा का अधिकार अधिनियम से सकारात्‍मक परिणाम प्राप्‍त हुए हैं और इनके नामांकन में वृद्धि हुई है। फिर भी प्रभावित क्षेत्रों में काफी कुछ किया जाना बनता है। उन्‍होंने बताया कि यह कार्य धीमी गति से चल रहा है और जहां इस कार्य में अच्‍छे परिणाम प्राप्‍त हुए हैं उसे अन्‍य स्‍थान पर दोहराये जाने की आवश्‍यकता है।

राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने यह कहा है कि हिंसा, असहिष्‍णुता, गैर-बराबरी के लिए शिक्षा रामबाण की तरह है। हाल ही में छत्‍तीसगढ़ के जिलों में जनजातीय विद्यार्थियों के दो अलग-अलग छात्रावासों के लिए आधारशिला रखने के बाद उन्‍होंने कहा कि युवाओं के मन में मानवता के प्रति विश्‍वास बनाये रखना चाहिए जिससे कि विश्‍व में देश को सही स्‍थान मिल सके।              (पीआईबी फीचर)
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लेखिका स्‍वतंत्र पत्रकार हैं।
डिस्‍कलेमर: इस फीचर में व्‍यक्‍त किए गए विचार लेखक के अपने हैं।

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वि.कासोटिया/अनिल /यादराम/मलिक/निर्मल-10


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